महाशिवरात्रि आज, सजकर तैयार हैं शिवालय
महाशिवरात्रि को लेकर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों को सजाया गया है।
जेएनएन, बेगूसराय : महाशिवरात्रि को लेकर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों को सजाया गया है। जिले के एस. कमाल के आलोकधाम, गढ़पुरा के हरिगिरिधाम व मटिहानी के वृंदावन में शिव विवाह को लेकर तैयारी पूरी हो गई है।
साहेबपुर कमाल में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर परोरा स्थित आलोकधाम शिव मंदिर से गुरुवार को श्रद्धालुओं द्वारा भूत प्रेत बैताल के साथ देवी-देवताओं की शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा सनहा पूर्वी पंचायत के विभिन्न टोले से गुजरती हुई सनहा पश्चिम, सनहा उत्तर तथा पंचवीर होते हुए आलोकधाम पहुंची। इस अवसर पर शिव भक्त शिव की नचारी एवं शिव जय घोष कर नाचते गाते रहे। शिवरात्रि के अवसर पर प्रखंड के सभी शिवालयों को सजाया गया। शोभा यात्रा में मुख्य रूप से शंभू ¨सह, अर¨वद ¨सह, श्यामानंद ¨सह, रामविलास ¨सह, कृष्णानंद ¨सह, संजय ¨सह आदि शामिल थे।
गढ़पुरा के बाबा हरिगिरीधाम में महाशिवरात्रि को लेकर गुरुवार को बाबा भोलेनाथ एवं मां पार्वती के विवाह रस्म को पूरा किए जाने के लिए घृतढ़ारी एवं मटकोर धूमधाम से संपन्न हुआ। बाबा भोलेनाथ के विवाह के उपलक्ष्य में घृतढ़ारी व मटकोर के बारे में स्कंद पुराण एवं शिव पुराण के उत्तरार्द्ध विवाह खंड की चर्चा करते हुए पंडित दिनेश झा इंदू ने बताया कि प्रजापति दक्ष की पुत्री सती के यज्ञ अग्निकुंड में समाहित होने से शिव विचलित होकर श्मशानवासी हो गए थे। बाबा भोलेनाथ के संसार से विरक्ति के बाद तारकासुर राक्षस का उत्पात संसार में होने लगा। देवता, ऋषि, मुनि एवं मानव जाति इससे काफी त्रस्त होने लगे थे। इसी बीच आकाशवाणी हुई। जिसमें कहा गया कि शिव की प्रथम पुत्री ही तारकासुर का वध करेगी। जब तक शिव का विवाह नहीं होगा तब तक पुत्री कैसे होगी। शिव के श्मशान में समाधि की ¨चता देवताओं, ऋषि-मुनियों को सताने लगी। तब शिव की समाधि भंग करने में कामदेव का दहन, रति को वरदान व अन्य बहुत सारी बातें हुई। इसके बाद शिव का विवाह पार्वती से निश्चय हुआ। शिव पार्वती के विवाह की सारी तैयारी देवी लक्ष्मी स्वयं करने लगीं। ऋषि पत्नियों ने स्वर्ग की गाय कामधेनु के घी से वंश खंड को ¨सचित कर वंश उत्थान का अनुष्ठान किया। आज उसी अनुष्ठान को मिथिलावासी भी करते आ रहे हैं। जिसे घृतढारी कहा जाता है। वहीं सप्तऋषियों ने विवाह पूर्व कृत किए उसे आज मटकोर कहा जाता है। चारों वेदों ने सशरीर प्रस्तुत होकर विवाह पूर्व मंगलाचरण किए। आज भी मिथिला में अग्नि लांघ कर वर विवाह के लिए प्रस्थान करते हैं। यह परंपरा चली आ रही है। गंगा स्वर्ग से आई उसमें शिव को सात मटकों से जल भर कर स्नान कराया गया। पृथ्वी देवी ने नवीन वस्त्र पहनाए। मटकों से कराए स्नान की विधि को ही मटकोर कहते हैं।
मटिहानी प्रखंड के मानिअप्पा पंचायत के वृंदावन में गुरुवार को शिव विवाह महोत्सव तीन दिवसीय मेला का उदघाटन भी किया गया। उदघाटन जिला पार्षद झूना ¨सह ने किया। आयोजन समिति के शंकर कुमार, अविनाश कुमार, मो. इशराफिल आदि ने बताया कि हरेक वर्ष की भाति इस वर्ष भी तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है।
इधर बखरी नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में महाशिवरात्रि की तैयारी जोरों पर है। इस अवसर पर सभी शिवालयों में रंग-रोगन के बाद किया गया साज-सज्जा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। खासकर महिलाएं इस पर्व को लेकर काफी उत्साहित देखी जा रही हैं। यंग प्रोग्रेसिव क्लब बखरी के द्वारा भक्ति जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। बुधवार की संध्या क्लब के अध्यक्ष सीताराम महतो की अध्यक्षता में जागरण तैयारी को लेकर समीक्षा बैठक की गई। मौके पर सचिव विशाल चौधरी, पंकज पोद्दार, राहुल रजक, सन्नी कुमार, सोनु कुमार, चंदन कुमार, छप्पन चौधरी, राकेश कुमार, संजीत महतो, विपीन साह, ललन कुमार, ¨पटू कुमार आदि मौजूद थे।