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चमथा घाट में बह रही है भक्ति की धारा

बेगूसराय। बछवाड़ा प्रखंड के चमथा मेला घाट कल्पवासियों से पटता जा रहा है। कार्तिक मास मेला को लेकर कल्

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Oct 2017 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 12 Oct 2017 07:01 PM (IST)
चमथा घाट में बह रही है भक्ति की धारा
चमथा घाट में बह रही है भक्ति की धारा

बेगूसराय। बछवाड़ा प्रखंड के चमथा मेला घाट कल्पवासियों से पटता जा रहा है। कार्तिक मास मेला को लेकर कल्पवासी अपनी कुटिया बना रहे हैं। दुकानें सजने लगी है। महात्माओं का आना अनवरत जारी है। कीर्तन-भजन को पंडाल लगाए जा रहे हैं। महात्मा रामधुनी में लगे हैं तो कल्पवासी प्रत्येक दिन गंगा स्नान कर पूजा अर्चना में लीन हैं। सरायरंजन से संत जी पंडाल लगाया गया है।

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मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान कर गंगा जल लेकर विद्यापतिधाम, थानेश्वर स्थान, खुदनेश्वर स्थान एवं कुशेश्वर स्थान जाकर जलाभिषेक करते हैं। ¨कवदंतियों की मानें तो कवि कोकिल विद्यापति प्रतिदिन गंगा स्थान करने चमथा घाट आते थे। यहीं उन्होंने बर सुख सार पाओल तुअ तीरे.. की रचना की थी। राजा जनक एवं अंगराज कर्ण गंगा स्नान करने चमथा घाट पर आते थे। दिन प्रतिदिन कल्पवासियों की संख्या चमथा घाट पर बढ़ती जा रही है। परंतु, यहां कल्पवासियों को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं नदारत हैं। शौचालय, पेयजल, रोशनी आदि की व्यवस्था यहां नहीं की गई है।


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