गोदाम बना है पशु चिकित्सालय
बेगूसराय। लगभग डेढ़ दशक से प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय चेरिया बरियारपुर गोदाम बनकर
बेगूसराय। लगभग डेढ़ दशक से प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय चेरिया बरियारपुर गोदाम बनकर रह गया है। जबकि उस क्षेत्र की 75 प्रतिशत आबादी का मुख्य पेशा खेती व पशुपालन है। फिर भी इस तरह की उपेक्षा से क्षेत्र के पशुपालन किसान आहत हैं।
सनद रहे कि दो अगस्त 2007 को बसही गांव में बूढ़ गंडक नदी की उफनाइ्र धारा ने क्षेत्र के पशुपालकों की कमर तोड़ दी थी। कुछ मवेशी बाढ़ की धारा के साथ बह गए तो कुछ बाद में विभिन्न बीमारियों से मर गए थे। बचे हुए मवेशी चारा कि किल्लत के कारण कमजोर हो गए थे। लेकिन क्षेत्र के किसानों ने अपनी जीवटता से मंझौल अनुमंडल को गुजरात का आनंद बनाने के लिए कमर कस लिया और उस गौरव को प्राप्त करने में महती भूमिका निभाई। परंतु, क्षेत्र का एकलौता पशु चिकित्सालय की तस्वीर नहीं बदली। वहीं कहने के लिए मंझौल में वृहद पशु विकास परियोजना कार्यालय दिखावा मात्र है। यहां पर सहायक निदेशक पद और दो पद पशु पालन पदाधिकारी के पद हैं। जो रिक्त पड़े हैं। पशुपालन पर्यवेक्षक के 14 स्वीकृत पदों में से 13 पद रिक्त हैं। जबकि सहायक के 14 पद रिक्त पड़े हैं। यहां पर सांढ़ और भैंसा रखने के लिए भवन बना हुआ है। पूर्व में क्षेत्र के किसान उन्नत नस्ल के सांढ़ और भैंसा से प्रजनन कराते हैं। लेकिन परिस्थितयां बदली की सारी सुविधाएं इतिहास में दफन हो गई। मंझौल में पशु चिकित्सालय में एक पशु चिकित्सक हैं वो भी मात्र पशु पखवाड़ा में किसानों को दर्शन देते हैं। इसके अलावा सकरौली एवं कुंभी में स्थित पशु चिकित्सा उपकेंद्र वर्षों पूर्व बंद हो चुका है। ऐसे पशुपालक किसान झोला छाप चिकित्सक के सहारे पशुधन व्यवसाय को ¨जदा रखते हुए क्षेत्र में दूध की गंगा बहाने में जुटे हैं।
कहते हैं अधिकारी
बीडीओ संजय कुमार दास बताते हैं कि मंझौल में एक पशु चिकित्सक है जो प्रखंड क्षेत्र को देखते हैं। खबर मिलने पर किसानों को सेवा उपलब्ध कराते हैं।