शहनाई के सुर में खोये श्रोता
बेगूसराय सदर : डीजे या इस प्रकार के अन्य संगीत जहां हमारी धड़कनों को बढ़ाती है वहीं भारतीय संगीत हमें
बेगूसराय सदर : डीजे या इस प्रकार के अन्य संगीत जहां हमारी धड़कनों को बढ़ाती है वहीं भारतीय संगीत हमें मन की शांति प्रदान करती है। आज भी हम मन की शांति के लिए एकांत में जाकर इसी भारतीय संगीत को या तो सुनते हैं या फिर गुनगुनाते हैं। उक्त बातें भारतरत्न पंडित रविशंकर के शिष्य संजीव शंकर ने बरौनी रिफाइनरी के जुबली हाल में बीआर डीएवी द्वारा आयोजित स्पीक मयके कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी भारतीय संगीत और भारतीय कला- संस्कृति से दूर होती जा रही है। इसके लिए हमें स्वयं जागरूक होकर दूसरों को जागरुक करने की आवश्यकता है। वहीं, अश्वनी शंकर ने कहा कि आज पूरे देश में शहनाई वादकों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। इसका कारण विदेशी संगीत की ओर युवाओं में बढ़ता क्रेज है। इस अवसर पर संजीव शंकर व अश्वनी शंकर की शहनाई और आनंद शंकर व शांतिभूषण झा के तबला वादन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्पीक मयके के संचालक संजीव शंकर ने बताया कि वे विगत 37 वर्षो से दुनिया के 60 देशों और चार सौ शहरों में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। बीआर डीएवी की प्राचार्य मिस अंजली ने बताया कि बरौनी रिफाइनरी के गोल्डन जुबली वर्ष के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मौके पर तकनीकी सेवा के महाप्रबंधक वीजे राव, सुमित्रा दास, भारती राव, पीके सिन्हा, एस. सेन, भारद्वाज गुरुकुल के प्रशासक शिवप्रकाश भारद्वाज, एसवीपी के महामंत्री परवेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार, एके सिन्हा, रितेश कुमार, पीएन झा आदि मौजूद थे।