'गरीबों के डाक्टर' थे डा. पी. गुप्ता
बीरेंद्र झा, बेगूसराय: आधुनिक बेगूसराय के निर्माण में डा. पी. गुप्ता की अहम भूमिका रही है। बेगूसराय
बीरेंद्र झा, बेगूसराय: आधुनिक बेगूसराय के निर्माण में डा. पी. गुप्ता की अहम भूमिका रही है। बेगूसराय के चिकित्सा जगत में उनका नाम हर हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा। वे सच्चे मायने में जनता के डाक्टर थे। 'चिकित्सक भगवान होते हैं' यह धारणा डा. पी. गुप्ता जैसे चिकित्सकों के अथक संघर्ष से ही शायद बनी होगी। वे जब तक बेगूसराय में रहे, उनका फीस मात्र दो रुपए ही रहा। उन्हें 'गरीबों का डाक्टर' भी कहा जाता था।
बताते चलें कि डा. गुप्ता तीन दशक तक बेगूसराय में रहे। यहां से पटना जाने के उपरांत भी उनका बेगूसराय से लगाव बना रहा। चांद-सूरज अस्पताल में वे नियमित रूप से नि:शुल्क सेवा प्रदान करते रहे। मालूम हो कि डा. पी. गुप्ता का निधन वर्ष 2014 में हुआ।
डा. पी. गुप्ता बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। बेगूसराय के सांस्कृतिक आंदोलन के भी वे एक तरह से प्रणेता रहे हैं। दिनकर भवन निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही। बेगूसराय संग्रहालय के निर्माण में भी डा. गुप्ता ने बड़ी भूमिका निभाई। योगेंद्र स्मारक पुस्तकालय के संरक्षक अनिल कुमार अंजान बताते हैं कि पुस्तकालय आंदोलन से भी डा. गुप्ता का गहरा जुड़ाव रहा। योगेंद्र स्मारक पुस्तकालय, सिहमा का उद्घाटन डा. पी. गुप्ता ने ही किया था। वे बराबर विप्लवी पुस्तकालय, गोदरगावां आते-जाते रहे। स्वर्ण जयंती पुस्तकालय के विकास में भी उनकी अहम भूमिका रही। वाम आंदोलन से भी जुड़े रहे।