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'सेव बर्ड, सेव अर्थ' से गूंजा काबर पक्षी विहार

संवाद सहयोगी, छौड़ाही : अपनी प्राकृतिक विविधता को लेकर मशहूर काबर झील के संरक्षण संवर्धन हेतु अब कई स

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 04:48 PM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 04:48 PM (IST)
'सेव बर्ड, सेव अर्थ' से गूंजा काबर पक्षी विहार

संवाद सहयोगी, छौड़ाही : अपनी प्राकृतिक विविधता को लेकर मशहूर काबर झील के संरक्षण संवर्धन हेतु अब कई स्तरों पर प्रयास शुरू हो गये हैं। गीता किशोर फाउंडेशन कुरसाहा के सौजन्य से पक्षी विशेषज्ञों, जल कार्यकर्ताओं ने काबर झील परिक्षेत्र में जागरूकता अभियान सह परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया। काबर के हृदय के नाम से मशहूर नयन महल झील में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेपाल से आए सियाराम महतो ने कहा कि, काबर झील में साइबेरिया समेत नेपाल से भी पक्षी नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में डेरा डालते हैं। कहा, अभी नेशनल पिट्टा, डुमर, लालसर, दिघौंच, अरुण को काबर में देखा जा रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता फुलेंद्र विद्यार्थी ने परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि अभी नयन महल के कोचालय, देवालय, महालय, चतरा व चौरा इलाके में पर्याप्त जल हैं। जहां झूंड के झूंड पक्षी कलरव करते देखे जा सकते हैं। वहीं फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने कहा कि 'सेव बर्ड, सेव अर्थ' के साथ 'काबर बचाओ, पर्यावरण बचाओ' अभियान जारी रहेगा।

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गीता किशोर फाउंडेशन ने काबर को देखने- समझने हेतु लोगों को आमंत्रित किया है।

इंसेट

आने का रास्ता

छौड़ाही: बेगूसराय-छौड़ाही पथ में गुआबाड़ी घाट व नारायणपीपड़ धर्मशाला, गढ़पुरा स्टेशन से एकंबा रोड, एकंबा ग्राम व प्रसिद्ध जयमंगला मंदिर परिसर होते हुए आप काबर पक्षी विहार आ सकते हैं।


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