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मेहमान पक्षियों ने डाला डेरा

सुमन झा, संवाद सूत्र, बखरी : रंग-बिरंगी प्रवासी पक्षियों ने हिमालय पर्वत की ऊंचाई को मापते हुए और सा

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 03:17 PM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 03:17 PM (IST)
मेहमान पक्षियों ने डाला डेरा

सुमन झा, संवाद सूत्र, बखरी : रंग-बिरंगी प्रवासी पक्षियों ने हिमालय पर्वत की ऊंचाई को मापते हुए और सात समंदर को पार कर फरकिया क्षेत्र को अपना आशियाना बना लिया है। इन पक्षियों के कलरव से सीमावर्ती फरकिया के चौर व जलाशय गूंजायमान होने लगे हैं। पर्यावरणविदों की मानें तो कई वर्षो के बाद इन क्षेत्रों में मेहमान पक्षियों के मिजाज के अनुरूप मौसम व पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध है। जिस कारण अबकी बार इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इंद्र देवता की मेहरबानी की वजह से इस वर्ष चौर व जलाशयों में पर्याप्त पानी है। वहीं धान की फसल भी प्रवासी पक्षियों को लुभा रही है।

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इन जगहों पर डाला डेरा

मालूम हो कि बेगूसराय जिला के मंझौल स्थित काबर परिक्षेत्र, बखरी चौर, खगड़िया का फरकिया क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का मुख्य बसेरा माना जाता है।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब 52 प्रजातियों की मेहमान पक्षियों ने इन जगहों पर अपना डेरा डाला है। इनका मुख्य भोजन धान की फसल के अलावा छोटी-छोटी मछलियां, कीट, जलाशयों के अंदर उगने वाले मुलायम पौधे आदि हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारे यहां के सर्दी का मौसम इन पक्षियों के प्रजनन के लिए भी अनुकूल है। अमूमन ये परिंदे यहां सर्दी का मौसम गुजार कर गर्मी के दस्तक देते ही अपने-अपने 'देस' को कूच कर जाते हैं।

इन पक्षियों ने बनाया बसेरा

मालूम हो कि साइबेरिया में अत्यधिक बर्फबारी व पारा माइनस में पहुंचने की स्थिति में प्रतिवर्ष ये झुंड बनाकर इधर का रुख करते हैं और काबर व फरकिया क्षेत्र की शोभा बढ़ाते हैं।

सूत्रों की मानें तो इन पक्षियों में लालसर, दिघौंच, सराय, सामा-चकेबा, कबूतरी, अरुण, कोचरा, अधंगी, मलकई, खोखैर, नकटा, केपला, कारन, लदीम, सिलौंग मैल आदि प्रमुख हैं। ये पक्षियां दूर देश से आकर यहां के स्थानीय पचैला, कचना, दासीन, ढेनुआ, हथौड़ी, लेहाय, केहुना, वसाही, मनडुप्पा, चेनवारी, पतिया, रतनाहा आदि चौर-जलाशय में अपना रैन बसेरा बनाकर गुजर- बसर करते हैं।

धड़ल्ले से जारी है शिकार

बखरी सहित फरकिया क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का शिकार धड़ल्ले से जारी है। कृष्ण पक्ष आते ही शिकारी जलकरों में जाल व रस्सी का फंदा लगाकर इनका शिकार करते हैं। प्रवासी पक्षियां पांच सौ से लेकर पांच हजार रुपए जोड़े की दर से बेचे जाते हैं। बखरी के पूर्व मुखिया विश्वनाथ यादव, अमरनाथ पाठक, विनोद शर्मा, बबलू सिंह, सुबोध सहनी, मुकेश कुमार, अजय कुमार आदि ने पक्षियों के शिकार पर रोक लगाने की मांग की है।

बोले, जिला वन पदाधिकारी सुनील कुमार

'' प्रवासी पक्षियों के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारीगण लगातार गश्त कर रहे हैं। साथ ही स्थानीय पुलिस का सहयोग भी लिया जा रहा है।''


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