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गुरुशिष्य परंपरा का हो पालन

By Edited By: Published: Sat, 06 Sep 2014 01:06 AM (IST)Updated: Sat, 06 Sep 2014 01:06 AM (IST)
गुरुशिष्य परंपरा का हो पालन

बेगूसराय : गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करना मानव जाति का धर्म है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। वर्तमान समय में गुरु-शिष्य के बीच खाई बढ़ती जा रही है। इस के कारण बच्चों में अनुशासन एवं संस्कार का घोर अभाव दिखता है। उक्त बातें उलाव स्थित माउंट लिट्रा जी स्कूल के निदेशक मनीष देवा ने कहीं। उन्होंने कहा कि बच्चों में अनुशासन का होना आवश्यक है। यह शिक्षा की बुनियाद है। मजबूत नींव पर ही बुलंद इमारत बनती है। इसके लिए जरूरी है कि गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन निर्वाध तरीके से हो। बच्चों में विश्वास पैदा हो।

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इस मौके पर पोखरिया स्थित आर.सी एकेडमी के निदेशक मुकेश कुमार ने कहा कि बच्चों का दिल और दिमाग कोमल होता है उसे जिस भी दिशा में ले जाना चाहें आसानी से मुड़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि शिक्षक और छात्रों के बीच का संवाद काफी सरल और मधुर हो। काली स्थान स्थित टारगेट क्लासेज के निदेशक अमित कुमार ने कहा कि प्रतियोगिता की बेहतर तैयारी के लिए कड़ी मेहनत के साथ लगन का होना आवश्यक है। यदि कोई प्रतियोगी लगातार एक लक्ष्य बनाकर तैयारी करें तो उसे नि:संदेह सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि टारगेट क्लासेज का लक्ष्य है मनोवैज्ञानिक तरीकों से छात्रों को तैयार करना। जिससे सफलता की संभावना शत-प्रतिशत हो जाती है। बाईट कम्प्यूटर के निदेशक संजय कुमार ने कहा कि कम्प्यूटर की शिक्षा हर लोगों के लिए जरूरी है। इसके बिना आधुनिक युग के साथ चलना काफी दुभर हो गया है। जिसकी कमी को दूर करना मेरा दायित्व है। सेंट्रल पब्लिक स्कूल के निदेशक मनोज कुमार भारती ने कहा कि बच्चों को आधुनिक तकनीक से पूर्ण शिक्षा देना जरूरी है। गुरुकुल की तर्ज पर शिक्षा की परिपाटी लाना होगा। इससे बच्चों में शालीनता आती है। शालीनता से धैर्य पनपता है। धैर्य के आने से मेहनत की परिपाटी का जन्म होता है। इसे मूर्त रूप देने की आवश्यकता है।

इस मौके पर विकास विद्यालय के निदेशक राजकिशोर सिंह ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पदचिन्हों पर चलने की जरूरत है। आज के बच्चे ही भविष्य के निर्माता हैं। सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली से ही देश आगे बढ़ेगा।


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