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ईद-दिवाली एक साथ मनाते हैं

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 03:23 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 06:45 PM (IST)
ईद-दिवाली एक साथ मनाते हैं

संवाद सहयोगी, छौड़ाही : पर्व- त्योहार तो अमन का पैगाम लेकर आते हैं। यह हमें जीवन जीने की कला सीखाते हैं। और ईद तो खुशियों का ही त्योहार है। यह कहना है छौड़ाही प्रखंड के शाहपुर निवासी लोकेशनंदन वर्मा व मो. सलामुद्दीन का। उक्त दोनों व्यक्ति का परिवार बीते 50 वर्षो से साझी संस्कृति की मिसाल बने हुए हैं। दोनों परिवार की तीन पीढि़यां साझी संस्कृति का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

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एक करता रोजा, तो दूसरा मनाता दिवाली

प्रखंड रामचरितमानस गोष्ठी के अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद वर्मा के छोटे पुत्र हैं लोकेशनंदन वर्मा। वहीं संभ्रांत मुस्लिम परिवार से आते हैं सलामुद्दीन। लोकेश जी बताते हैं कि रमजान के माह में खुद रोजा रखता हूं। बगैर नागा। वहीं सलामुद्दीन कहते हैं कि दिवाली की फुलझड़ियां साथ मिलकर छोड़ते हैं। होली भी खूब भाता है।

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' मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'

छौड़ाही: प्रखंड का बकारी ग्राम हिन्दु-मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण है। यहां हिन्दू व मुस्लिम की समान आबादी है। दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व को साथ-साथ मनाते हैं। मुखिया व बकारी निवासी प्रमिला देवी पासवान एवं शिक्षक मो. सरफराज कहते हैं कि ईद की खुशियों में हम सभी साझीदार हैं।

यहीं के रिटायर आर्मी अफसर मो. निजामुद्दीन, शिक्षक मो. नियाज, कपिलेश्वर राम, राम विनोद पासवान ने बताया कि दोनों धर्म के लोग पर्व-त्योहार साथ-साथ मनाते हैं।

इधर, प्रखंड प्रमुख रंजना देवी कहती हैं कि अमन के इस पैगाम को सलाम।


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