बालश्रम रोकने में सरकारी योजनाएं फिसड्डी
संवाद सहयोगी, छौड़ाही : बाल मजदूरी पर रोक लगाने के लिए एक ओर बाल श्रम उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। मुक्त कराए गए बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए अनेकों संस्थाएं एवं योजनाएं काम कर रही है। वहीं दूसरी ओर क्षेत्र अंतर्गत बाल मजदूरों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए बनी तमाम सरकारी बाल श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है। क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न होटलों, चाय दुकानों, मोटर गैरेजों, मोटर वाहन दुकानों, बीड़ी उद्योगों, ईट भठ्ठा उद्योगों समेत कई अन्य छोटे-बड़े उद्योग धंधों में इन बाल श्रमिकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। विडंबना है कि इन बाल श्रमिकों की घरेलू स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। सिर्फ इनके माता-पिता की मजदूरी के सहारे परिवार में दो जून की रोटी का जुगाड़ हो पाना संभव नहीं है। जिस कारण इनके माता पिता आरंभ से ही बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेजने को बाध्य हो जाते हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता इन मासूम बच्चों से प्राप्त आमदनी को उपरी आमदनी समझ कर इन नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्रों में पांव पसारे मजदूर ठेकेदार इन बच्चों को प्रलोभन देकर आरंभ से ही सिनेमा, जुआ, सिगरेट, गुटखा आदि दुर्व्यसन में फंसा देते हैं। जिससे बच्चे अपनी व्यसन के कारण खुद मजदूरी करने को प्रेरित होते हैं।
इधर सीओ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाल मजदूरों के लिए कई व्यवस्था की गई है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।