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बेटी के घर आने पर झूम उठता वनवासी का आंगन

बांका। बांका में वनवासी की बड़ी आबादी लंबे समय से बसी है।

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 10:06 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 10:06 PM (IST)
बेटी के घर आने पर झूम उठता वनवासी का आंगन

बांका। बांका में वनवासी की बड़ी आबादी लंबे समय से बसी है। इनकी संस्कृति और पर्व त्योहार की मस्ती हर किसी का ध्यान खींच लेती है। ऐसे में आदिवासी के सबसे बड़े त्योहार सोहराय की धूम गांवों में दिखने लगी है। बौंसी, चांदन, कटोरिया, फुल्लीडुमर, बेलहर, बांका आदि प्रखंड के सौ से अधिक गांवों में इसकी तैयारी जोरों पर है। भाई अपने बहन को मायके से बुलावे का न्यौता देने उसके घर पहुंच रहे हैं।

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ग्राम प्रधानों ने इसके मनाने की तारीख घोषित कर दी है। जिला भर में नौ से 14 जनवरी तक इसका आयोजन होगा। घर-घर में बेटी आने की खुशी में बढि़या भोजन पकेगा। रात-रात भर महिलाएं मिल कर मांदर की थाप पर नृत्य करेंगी। वनवासी का आंगन खुशी से झूम उठाता है। दरअसल, आदिवासी का हाथी लेकान परब यानि सबसे बड़ा त्योहार बेटी के घर आने की खुशी में ही मनता है। वनवासी समाज आज भी बेटी को लक्ष्मी की तरह आदर देता है। यही कारण है उनका सबसे बड़ा त्योहार बेटी को ही समर्पित है। पर्व समापन के बाद बेटी का संदेश, कपड़ा आदि देकर भाई विदा करता है।

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मोबाइल के जमाने में भी घर-घर न्यौता

मोबाइल सहित सूचना क्रांति के तमाम संसाधन मौजूद हो जाने के बाद भी सोहराय में बहन को घर बुलाने का न्यौता देने के लिए आदिवासी युवकों को उसके घर जाना होता है। ऐसा नहीं बांका के इन घरों में मोबाइल या इस तरह की आधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं है। लेकिन, परंपरा के मुताबिक अब भी वे बहन के घर जाकर ही इसका न्यौता देते हैं।

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क्या है इसकी मान्यता

आदिवासी समाज में एक प्राचीन कथा प्रचलित है। जानकार बताते हैं कि प्राचीन काल में आदिवासी समाज का प्रमुख जंगल से गुजर रहा था। इसी दौरान वे जंगल में शेर के चंगुल में फंस गये थे। तब उनकी जान बहन ने बचाई थी। तब से ही समाज ने बहन को भाई का सबसे बड़ा रक्षक घोषित कर उनके नाम अपना सबसे बड़ा त्योहार कर दिया।

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क्या कहते हैं जानकार

आदिवासी सामाजिक सांस्कृतिक मंच सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष देवनारायण मरांडी ने बताया कि बांका में इस बार सोहराय नौ से 14 जनवरी तक मनेगा। जिला मुख्यालय में आमलोगों के लिए 22 जनवरी को मिलन समारोह का आयोजन रखा गया है। सोहराय बेटी के ससुराल से घर आने पर मनाया जाता है। इसके लिए गांवों में बहन को न्यौता देने का काम शुरू हो गया है।

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किस-किस इलाके में बड़ा आयोजन

श्यामबाजार, बसमत्ता, दुधियातरी, भलजोर, समुखिया, पोखरिया, जयपुर, बाबूमहल, भितिया, लीलावरण आदि।


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