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हूल दिवस पर याद किए गए सिद्धू, कान्हू, चांद व भैरव

बांका। तिलका मांझी फाउंडेशन की ओर से हूल दिवस गुरूवार को पोखरिया ग्राम में अध्यक्ष मंजला मुर्मू की अध्यक्षता में मनाया गया।

By Edited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 10:15 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 10:15 PM (IST)
हूल दिवस पर याद किए गए सिद्धू, कान्हू, चांद व भैरव

बांका। तिलका मांझी फाउंडेशन की ओर से हूल दिवस गुरूवार को पोखरिया ग्राम में अध्यक्ष मंजला मुर्मू की अध्यक्षता में मनाया गया। इस मौके पर प्रमुख रूप से झारखंड प्रांत के भोगनाडीह गांव के स्वतंत्रता सेनानी प्रेमचंद्र किस्कू मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सिद्ध, कान्हू, चांद व भैरव चारों भाईयों ने मिलकर अंग्रेजी शासन को धूल चटाया था।

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कहा कि 30 जून 1855 को आदिवासी की बैठक में उनके दादा जी भी सम्मिलित थे। उस दिन आजादी की हूल फूंकी गई थी। अध्यक्ष श्री मुर्मू ने कहा कि ऐसे देशभक्तों से आज के नौजवानों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। देशभक्ति की खातिर जान देने का जज्बा रखने वाला इंसान भगवान के सामान है। फाउंडेशन के सचिव सुधीर मुंडू ने कहा कि हूल दिवस देशभक्तों को याद करते हुए मातृभूमि के प्रति संकल्पित होने का दिन है। आज ही के दिन एक बड़ा निर्णय सिद्धू के नेतृत्व में लिया गया था। उन्होंने आदिवासी समाज को विकसित करने के लिए नौजवानों को आगे आने को कहा। वहीं इससे पहले परंपरागत रूप से हूल दिवस पर सिद्धू, कान्हू, चांद व भैरव को याद किया। देशभक्तों के तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। इस मौके पर कुंदन बेसरा, पार्वती हांसदा, जयकांत हांसदा, महालाल मुर्मू, सुरेश सोरेन, गणेश किस्कू, रामलाल हांसदा, किशोर मुर्मू, छोटेलाल हांसदा, कालीचरण टुडू, देना मुर्मू सहित अन्य उपस्थित थे।


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