बच्चों का आंगनवाड़ी केन्द्रों से हो रहा मोहभंग
बांका। ब"ाों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार योजना प्रखंड में फ्लाप साबित हो रहा है।
बांका। बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार योजना प्रखंड में फ्लाप साबित हो रहा है। पिछले करीब चार से छह माह तक पूर्ण रूपेण यहां के 228 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों सहित गर्भवती, धातृ, किशोरी को पोषाहार के नाम पर एक चुटकी अनाज नसीब नहीं हो पाया है।
वहीं तीन साल से छह साल तक केन्द्र पर पढ़ने वाले दूध मुहे बच्चों को भोजन के नाम पर एक-एक बिस्कूट भी नसीब नहीं हो पाने से अब धीरे-धीरे बच्चों का आंगनबाड़ी केन्द्रों से मोह भंग होता चला जा रहा है। ज्ञात हो कि केन्द्र पर कम से कम 40 बच्चों की उपस्थिति अनिवार्य है। लेकिन आवंटन के साथ-साथ पोषाहार उपलब्ध नहीं रहने से बच्चों की संख्या केन्द्र पर नगण्य है। ऐसे में सेविका-सहायिका बगैर बच्चे के ही केन्द्र पर बैठकर किसी तरह समय बिताने को मजबूर है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कई सेविकाओं ने बताया कि जनवरी और मार्च के बाद उन्हें पोषाहार एवं राशि नसीब नहीं हुआ है। किसी तरह केन्द्र को बचाने के लिए अपने पैसे से बिस्कुट खरीद बच्चों को दे रही हूं। ताकि कुछ बच्चे भी केन्द्र पर इसी बहाने से आते रहे। इधर गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को भी टेक होम राशन नहीं मिलने से नाराज महिला अपने बच्चों को केन्द्र पर भेजने को तैयार नहीं है। जानकारी के अनुसार आंगबाड़ी सेविकाओं को प्रत्येक माह पोषाहार की राशि 14 हजार 60 रूपये उसके खात में देनी है।
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क्या-क्या मिलता है
इसके अलावा दो ¨क्वटल 30 किलो चावल दी जाती है। इस राशि से सेविकाओं को अतिरिक्त आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविकाओं को 40 बच्चों को प्रतिदिन मीनू के अनुसार सप्ताह में छह दिन सोम, बुध व शनिवार तीन दिन खिचड़ी, मंगलवार को पोलाव, गुरूवार को हलवा, शुक्रवार को रसिया एवं अंडा देनी है। वहीं आठ गर्भवती एवं आठ धातृ महिलाओं को तीन किलो चावल, डेढ़ किलो दाल तथा 350 ग्राम सोयाबीन देनी है। जबकि 12 अतिकुपोषित महिलाओं को चार किलो चावल, दो किलोग्राम दाल, 500 ग्राम सोयाबीन तथा 28 कुपोषित को ढाई किलो चावल, सवा किलो दाल एवं सोयाबीन की बरी देनी है। इसके अलावा 40 से 60 किशोरी को तीन किलो चावल, डेढ़ किलो दाल तथा 300 ग्राम सोयाबीन बरी देनी है। किशोरी के लिए अलग से राशि 125 रूपये प्रति किशोरी की दर से मिलती थी। लेकिन वह भी पिछले कई महीनों से बंद है।
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केन्द्र द्वारा राशि की स्वीकृति दे दी गयी है। अब राज्य सरकार द्वारा आवंटन मिलते ही सभी केन्द्रों को राशि भेजी जाएगी। ताकि नियमित रूप से पोषाहार बच्चों को
रेणु मिश्रा, सीडीपीओ