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29 लाइसेंसी व 290 अवैध पैथोलाजी का हो रहा संचालन

पूर्णिया जिले में महज 29 लाइसेंसी पैथोलॉजी हैं जिसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाइसेंस निर्गत किया गया ह

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 04:04 PM (IST)
29 लाइसेंसी व 290 अवैध पैथोलाजी का हो रहा संचालन

पूर्णिया जिले में महज 29 लाइसेंसी पैथोलॉजी हैं जिसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाइसेंस निर्गत किया गया है जबकि जिले में 290 अवैध पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है। इसमें 250 अवैध पैथोलॉजी का संचालन तो सिर्फ लाइन बाजार में किया जा रहा है। इस अवैध पैथोलॉजी का संचालन भूजा बेचने वाले से लेकर सैलून चलाने वालों द्वारा किया जा रहा है। इस अवैध पैथोलॉजी द्वारा हर दिन मरीजों को जांच के नाम पर उनकी मौत बांटी जाती है और उनका जमकर आर्थिक दोहन किया जा रहा है। अवैध पैथोलॉजी में लैब टेक्नीशियन के बदले दुकानों में काम करने वाले मजदूर काम करते हैं और जांच रिपोर्ट पर फर्जी चिकित्सक का हस्ताक्षर बना मरीजों को रिपोर्ट थमा देते हैं। पैथोलॉजी की रिपोर्ट में किसी एमडी या डिप्लोमा के चिकित्सकों का देखना आवश्यक है। लेकिन पूर्णिया जिले में महज 15 चिकित्सक एमडी या डिप्लोमा है। कई एमबीबीएस चिकित्सकों द्वारा भी पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं लेकिन इसके बाद भी चिकित्सकों का आंकड़ा 30 तक ही पहुंचता है। जबकि लाइसेंसी व अवैध रूप से 319 पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है। सबसे हैरत की बात यह है कि अधिकांश अवैध पैथोलाजी के संचालक चिकित्सकों से सांठगांठ कर मरीजों को जांच के लिये अपने यहां बुलवाते हैं। इसके एवज में प्रति मरीज की दर से मोटी रकम कमीशन के रूप में अदा की जाती है। जिस कारण अवैध पैथोलॉजी संचालकों का धंधा बड़ी आसानी से फल-फूल रहा है। स्वास्थ्य विभाग पूर्णिया में अवैध पैथोलॉजी के संचालन से पूरी तरह वाकिफ है। विभाग द्वारा 2011 से लेकर 2016 के 20 दिसंबर तक 19 बार अवैध पैथोलॉजी संचालकों के खिलाफ छापामारी अभियान चलाया गया। इस अभियान में 117 अवैध पैथोलॉजी संचालन के मामले पकड़ में आये लेकिन इसके बाद भी इस अवैध धंधे पर किसी तरह की रोक नहीं लगी। हर बार छापामारी में मामला पकड़ में आने के बाद या तो ले देकर मामले को रफा कर दिया गया या फिर नाम बदलकर दूसरे पैथोलॉजी का संचालन शुरू कर दिया। अवैध पैथोलाजी का धंधा इसके संचालकों के लिये कितना फायदेमंद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई अवैध पैथोलॉजी संचालक जो दो वर्ष पूर्व साइकिल की सवारी करते थे वे अब की चार पहिया वाहन के मालिक बन बैठे हैं। अवैध पैथोलाजी में मरीजों का ना सिर्फ आर्थिक शोषण किया जा रहा है बल्कि गलत रिपोर्ट पेश कर उनकी जान के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

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कोट

अवैध पैथोलॉजी के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाया जाता रहा है कई मामले पकड़ में भी आए हैं इस अभियान को और तेज करके अवैध पैथोलॉजी के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी।

-डॉ एमएम वसीम, सिविल सर्जन

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