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संशोधित: रोहित भारत के लिए लाना चाहता है सोना

बांका। मलेशिया के मोहे मसूरी कप लॉन बॉल चैंपियनशिप 2016 के मिक्स डबल में भारत को कांस्य दिला चुके रो

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 10:19 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 10:19 PM (IST)
संशोधित: रोहित भारत के लिए लाना चाहता है सोना
संशोधित: रोहित भारत के लिए लाना चाहता है सोना

बांका। मलेशिया के मोहे मसूरी कप लॉन बॉल चैंपियनशिप 2016 के मिक्स डबल में भारत को कांस्य दिला चुके रोहित कुमार ¨सह अब देश के लिए गोल्ड जीतना चाहते हैं। 10 जून को आस्ट्रेलिया के गोल्ड कॉस्ट स्टेडियम में हुए आस्ट्रेलिया ओपन लॉन बॉल चैंपियनशिप 2017 में समय पर बीजा नहीं बनने से उनके स्वर्ण पदक जीतने सपना थोड़ा लंबा हो गया है। लेकिन इसके लिए उनका परिश्रम जारी है। इससे पहले बिहार के लिए खेलते हुए कोलकाता के चौथे राष्ट्रीय लॉन बॉल चैंपियनशिप में रजत एवं दिल्ली में 2013 के तीसरे राष्ट्रीय लॉन बॉल चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल कर भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई। इसके बाद 2015 में मलेशिया लॉन बॉल चैंपियनशिप के मिक्स डबल सेमीफाइनल में रोहित एवं उसकी जोड़ीदार पलामू की अनवरी खातून मेजबान मलेशिया की टीम से महज दो प्वाइंट से पिछड़ गई। जिससे इन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। रोहित ने इस हार को चुनौती के रूप में लेते हुए भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने की ठानी हैं।

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नेट बॉल से किया लॉन बॉल का रुख :

रोहित ने लॉन बॉल में अपने करियर की शुरुआत 2011 में की थी। इससे पहले वे झारखंड की ओर से 2014 में नेट बॉल सब जूनियर एवं 2010 में सीनियर चैंपियनशिप में शिरकत किये थे। इसमें 2010 के राष्ट्रीय नेट बॉल चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने अपना रुख लॉन बॉल की ओर किया। इसके बाद कई राष्ट्रीय लॉन बॉल चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए भारतीय टीम के लिए चुने गए।

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अपनी माटी से है लगाव :

भारतीय लॉन बॉल प्लेयर रोहित मूल रुप से बांका जिले के झपनियां गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने दसवीं की पढ़ाई ननिहाल पूर्णिया के डॉन वास्को स्कूल से पूरी की। उसके पिता रांची कॉलेज में प्रोफेसर रहे। रोहित ने सेंट जेवियर से इंटर व बीकॉम की पढ़ाई की। फिर उसी कॉलेज में एकाउंटेंट बन गए। इसके बाद भी खेल के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ। कॉलेज से वक्त निकाल कर खेल पर ध्यान देते रहे। रोहित ने बताया कि उन्हें अपनी मंटी से खासा लगाव है जिससे समय मिलने पर अक्सर ही गांव पहुंच जाते हैं।


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