पानी गया पताल, जनजीवन बेहाल
बांका। अमरपुर प्रखंड क्षेत्र कंझिया के ग्रामीण पुराने कुएं की फिर से खुदाई कर रहे हैं। कारण पूछने पर
बांका। अमरपुर प्रखंड क्षेत्र कंझिया के ग्रामीण पुराने कुएं की फिर से खुदाई कर रहे हैं। कारण पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि यह कुआं मुद्दत बाद अबकी सूख गया है। नतीजन, एक बूंद भी पानी कुआं से नहीं निकल रहा है। बाल्टी डूबोते ही जाकर सीधे जमीन से जाकर टकरा जाती है। कुएं के पास ही ब्रह्मदेव स्थान है। जहां, प्रतिदिन ग्रामीण पूजा-पाठ करते हैं। परंतु कुआं सूखते ही लोगों को जल चढ़ाना भी कष्टकारी हो गया।
कुएं के ठीक पास स्थापित चापानल भी पानी देना बंद कर दिया। अलबत्ता ग्रामीणों को फिर कुंए की खुदाई में जुटना पड़ा। जानकारी हो कि कंझिया गांव चांदन नदी के किनारे बसा हुआ है। ग्रामीण प्रकाश ¨सह, कैलाश चौधरी, मानती पंडित, महेश कापरी, सूरज यादव की मानें तो गांव का अमूमन चापानल व कुआं पुरी तरह सूख चुका है। गांव में चहुंओर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कंझिया गांव मात्र एक बानगी है। सच्चाई यही है कि नदी किनारे बसा पथरा, डोमाखांड़, सैजपुर, डूबौनी, जोगिया, पतवै, कैथाटीक, बनबरसा, मादाचक, इंद्रसेना सहित सैकड़ों गांवों की स्थिति कंझिया जैसी ही बनी हुई है। पेयजल की समस्या से निपटने के लिए इन गांवों में नया बो¨रग किया जा रहा है। साथ ही कुंए की खुदाई भी कराने की योजना बन रही है। परंतु गरीब लोग यह सोचते ही हिम्मत हार जा रहे हैं।
दरअसल, मौजूदा वक्त में नदी सूखते ही पास गांव का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। पहले के जवाने में गाड़ा गया चापानल अब हांपने लगे हैं।
अंधाधुंध बालू उठाव से रूठ गई नदियों का जलस्तर
जानकारी के मुताबिक विगत दस वर्षों से बांका की सभी प्रमुख नदियों में बालू का उठाव बेतरतीब ढंग से किया जा रहा है। जिसका परिणाम यह हुआ कि नदियों की अस्मिता पर खतरा मंडराने लगा। दूसरी ओर नदी का जलस्तर काफी नीचे चला गया। विभागीय रिपोर्ट व स्थानीय लोगों की मानें तो नदी सूखते ही आसपास गांव का जलस्तर करीब तीन फीट नीचे चला गया है। बालू उठाव की वजह से ही नदी का पानी नीचे चला गया। बालू उठाव का खामियाजा जहां चापानल व कुंए फेल होकर जहां मनुष्य को पेयजल भुगतना पड़ा। वहीं दूसरी ओर जानवर भी पानी के लिए व्याकुल है। नदी का जलस्तर नीचे गिरने से खेती को भी बड़ा झटका लगा है। किसान ब्रह्मदेव पंजियारा की मानें तो पहले को कुड़ी के द्वारा खेतों का पटवन कर लिया करते थे, परंतु अब तो पानी ही नहीं है।
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पानी की संकट है तो जांच कराकर वहां समुचित उपाय किया जाएगा। पानी के लिए प्रभावित गांव में नए चापानल लगाने की योजना है। साथ ही टेंकर के माध्यम से भी पानी पहुंचाया जाएगा।
मनोज चौधरी, कार्यपालक अभियंता पीएचईडी