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पंचायत चुनाव : अधिकांश दिग्गजों की फंसेगी सीट

बांका। पंचायत चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। प्रशासनिक महकमा प्रखंड से जिला स्तर तक सीटों के आरक्षण रोस

By Edited By: Published: Sat, 26 Dec 2015 10:30 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2015 10:30 PM (IST)
पंचायत चुनाव : अधिकांश दिग्गजों की फंसेगी सीट

बांका। पंचायत चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। प्रशासनिक महकमा प्रखंड से जिला स्तर तक सीटों के आरक्षण रोस्टर को अंतिम रूप देने के लिए गुणा-भाग में व्यस्त है। जल्द ही इसे अंतिम रूप प्रदान करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया जाएगा। जनवरी में इसे अंतिम रूप मिल जाने की उम्मीद है। आरक्षण सेट करने के नियम के मुताबिक बांका में अबकी कई दिग्गजों की सीट आरक्षण के पेंच में फंस रही है। आरक्षण की तलवार उन्हें त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के सदन में पहुंचने से रोकने को तैयार बैठी है। खास बात यह कि अधिक आबादी वाली सीटों पर आरक्षण का वार तेज होगा। नियम के मुताबिक अधिक आबादी वाली हर सीटें आरक्षित हो जाएगी। इसके वनिस्पत कम आबादी वाली सीटें आरक्षण से मुक्त रह जाएगी। इस सीट के दावेदारों पर आरक्षण का खतरा कम है। आरक्षण की पहली कड़ी में प्रस्तुत है जिला परिषद की 25 सीटों का लेखा जोखा।

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निक्की, मनोज, अनिल की सीट पर खतरा

पिछली बार की तरह नये आरक्षण में भी बांका की नौ सीटें एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगी। इसमें एक एसटी, तीन एससी और पांच पिछड़ा वर्ग के लिए होगी। इसमें कुछ उस वर्ग की महिलाओं को भी मिलेगा। अनुसूचित जनजाति की पूर्व से एक आरक्षित सीट है। इस सीट की जिला पार्षद निक्की हेम्ब्रम इस बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव हार चुकी है। ऐसे में आरक्षण उनके लिए नई मुसीबत लेकर आ रही है। कटोरिया पूर्वी सीट खाली होगी। आबादी के मुताबिक दूसरा सबसे अधिक एसटी आबादी वाला जिला परिषद सीट बौंसी को मिलेगा। बौंसी उत्तरी या दक्षिणी सीट एसटी के लिए सुरक्षित हो सकता है। इसी तरह अभी एससी की तीन सीटें शंभूगंज पश्चिमी, रजौन दक्षिणी और कटोरिया पश्चिमी सुरक्षित था। इसमें कम से कम दो सामान्य हो जाएंगी। एक दूसरी कोटि के लिए सुरक्षित हो सकता है। एससी आबादी को देखें तो अब शंभूगंज पूर्वी, रजौन मध्य और चांदन की एक सीट एससी की खाते में जाती दिख रही है। ऐसे में इस तीन सीट के जिल पार्षद को अपना नया ठिकाना ढूंढना होगा। पंकज यादव की पत्नी सरिता देवी, राजेश ¨सह उस सीट से चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। अब पिछड़ा आरक्षित सीटों की बात। सभी पांच पिछड़ा आरक्षित सीटें बदल जाएगी। इसमें बांका उत्तरी सीट पिछड़ा के बजाय सामान्य हो जाएगी। ऐसे में दो बार के जिला पार्षद मनोज चंद्रवंशी पर खतरा मंडराएगा। बांका दक्षिणी सीट भी महिला के बजाय सामान्य हो सकती है। ऐसे में दो बार की लगातार पार्षद राजेंद्र यादव की पत्नी कैकयी देवी को क्षेत्र बदलना पड़ सकता है। वहीं इस दोनों प्रमुख सीट पर कई नये पहलवान को किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा। धोरैया तीनों सीट का भी समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतू देवी और हाजरा खातून के सामने चुनौती है। हां, बड़े नेताओं वाली कम आबादी सीट पर आरक्षण का खतरा कम दिख रहा है। अध्यक्ष श्वेता कुमारी की सीट बच सकती है, या खूब तो सामान्य हो सकती है। इसी तरह उपाध्यक्ष नीलम ¨सह के सीट पर भी आरक्षण का खतरा कम है। पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष ¨सपल देवी की सीट महिला से सामान्य हो सकती है। शिक्षा समिति अध्यक्ष पप्पू वर्मा की सीट महिला आरक्षित होने की उम्मीद है। यानि रजौन के तीनों जिला पार्षद पर खतरा है। चांदन के दोनों जिला पार्षद पर भी आरक्षण का खतरा है।

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क्या चल रही प्रशासनिक तैयारी

जिला पंचायती राज शाखा राज्य से मिले गाइड लाइन के आधार पर आबादी के अनुसार सीटों के आरक्षण स्वरूप को अंतिम रूप देने में जुटी है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी से स्वीकृति के बाद इसे अंतिम अनुमोदन के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।

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जिला परिषद सीट की प्रमुख बातें

- जिला में कुल सीटों की संख्या 25

- अनुसूचित जनजाति को मिलेगी एक सीट

- अनुसूचित जाति को मिलेगी तीन सीटें

- अति पिछड़ा वर्ग को मिलेगी पांच सीटें

- महिलाओं को मिल सकती है 11 सीटें


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