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मां तारा मंदिर की स्थापना से डर हुआ छूमंतर

बांका। दशहरा पर्व का भक्तिमय वातावरण के विदाई बाद ही क्षेत्र में दीपावली की धमक दिखाई देनी शुरू हो ग

By Edited By: Published: Sun, 25 Oct 2015 09:52 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2015 09:52 PM (IST)
मां तारा मंदिर की स्थापना से डर हुआ छूमंतर

बांका। दशहरा पर्व का भक्तिमय वातावरण के विदाई बाद ही क्षेत्र में दीपावली की धमक दिखाई देनी शुरू हो गई है। दीपावली का दिन कई पर्वों का महासंगम होता है। लिहाजा आगामी 11 नवंबर को दीपावली के दिन ही मध्य रात्रि में जिले के मंदिरों में काली की प्रतिमा स्थापित होगी। जानकारी के मुताबिक शहर से लेकर गांव तक में मां काली की प्रतिमा स्थापित होती है। साथ ही प्रांगाण में भव्य मेला का भी आयोजन होता है। आज की कड़ी में शहर के बाबूटोला स्थित तारामंदिर के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है।

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जानकारों के मुताबिक मां तारा मंदिर की स्थापना सन 1982 में हुआ था। इसकी स्थापना तेलडीहा के दो भाई श्यामाकांत झा व उदयकांत झा ने किया था। बाद में इसी मंदिर में सन 1992 में पंडित ओम प्रकाश के कर कमलों द्वारा दक्षिणेश्वर काली की विधिवत प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू किया गया। तब से यहां भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। अभी मंदिर में प्रतिमा निर्माण का कार्य जोर-शोर से जारी है। पूजा समिति के सदस्य मेला के आयोजन को लेकर काफी सक्रीय हैं। यहां चार दिन मेले का आयोजन होता है। मंदिर में बलि प्रथा भी है।

मंदिर स्थापना के पीछे का रहस्य

जानकारों की मानें तो नब्बे दशक तक इस क्षेत्र में खौफ व दहशत का वातावरण कायम था। तारामंदिर मार्ग में लूटपाट की बात आम हो गई थी। हत्या के बाद लोगों की लाश यहां फेंक दिया जाता था। सूर्य अस्त के बाद इस ओर कोई ताकने की जुर्रत तक नहीं करते थे। दिन भी कभी-कभी कुदीन में तब्दील हो जाता था। इसी डर को दूर करने के लिए यहां मंदिर की स्थापना की गई। ताकि कुछ दैवीय शक्ति यहां चमत्कार कर सके। साथ ही मंदिर में लोगों का आना जाना सुलभ हो सके।

तारामंदिर का शीतल जल से रोग गायब

तारामंदिर की एक ओर बड़ी प्रसिद्धी है। जानकारों की मानें तो यहां का जल सेवन करने से पेट संबंधी रोग गायब हो जाता है। देखा जाता है कि मंदिर के एक चापानल से शीतल जल निकलता है। जिसे लेने के लिए दिनोभर लोगों का हुजूम लगा रहता है। शहरवासी के अलावा यहां का पानी गांव-गांव व आसपास के शहर में वाहन के माध्यम से ले जाया जाता है।

---------------------फोटो-25बीएएन 05तारामंदिर का इतिहास काफी रोचक है। मंदिर से शहर से लेकर गांव तक की आस्था यहां से जुड़ी है। मेला सहित पूजा के लिए 25 सदस्यी समिति सदस्य के अलावा मोहल्लावासी सक्रीय हैं। मंदिर में भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जाएगा। महाआरती का यहां भव्य आयोजन होता है। भक्तजन भारी संख्या में उपस्थित होकर आरती को खास बनाएं।

अनिरूद्ध यादव, अध्यक्ष

तारामंदिर पूजा समिति, बांका


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