हड़ताल से 2.6 लाख मनरेगा मजदूर बेहाल
बांका। पीआरएस हड़ताल के चलते बांका के ढाई लाख से अधिक मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। लगातार हड़ताल
बांका। पीआरएस हड़ताल के चलते बांका के ढाई लाख से अधिक मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। लगातार हड़ताल से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। जॉब कार्डधारी मजदूरों के घरों में इन दिनों रोटी के लाले पड़े हुए हैं। पूरे बिहार में पीआरएस के हड़ताल से मनरेगा कार्य ठप पड़ा हुआ है। मनरेगा कार्य कर रही महिला मजदूर भी अपना सिर पिट रही है। जॉब कार्ड धारी महिला मजदूर जिला में 35 हजार से अधिक है। इन आंकड़ों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कि पीआरएस ने अपने हड़ताल से कितने घरों का चूल्हा बुझा दिया है।
तीन करोड़ से अधिक की राशि बेकार
मनरेगा योजना के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए जिला को छह करोड़ 63 लाख की राशि आवंटित की है। लेकिन पीआरएस की हड़ताल से सारा कार्य जस का तस पड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक 3 करोड़ 94 लाख का काम हुआ है। जो कि समय के अनुसार बहुत ही कम है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 152 पीआरएस कार्यरत है। जो विगत दो माह से स्थायीकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर चल रहे है।
मनरेगा कार्य किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं होना चाहिए। उसके लिए जीविका के डीपीएम व जीविका कर्मी सहित इंदिरा आवास सहायक के माध्यम से कार्य कराया जाना है।
अधिकारी भी झाड़ रहे पल्ला
मनरेगा कार्य में बाधक बने हैं पीआरएस। लेकिन पदाधिकारी भी कैसे काम करें इस मुश्किल घड़ी में उन्हें भी पता नहीं चल पा रहा है। मनरेगा से जुड़े प्रखंड के प्रोग्राम अधिकारी ने हड़ताल का बहाना बनाते हुए हाथ झाड़ने में ही अपनी भलाई समझी और इस मामले को लेकर अपने वरीय पदाधिकारी को भी अवगत कराते हुए। पूरे योजना से राम सलाम करने में ही अपनी भलाई समझी।