अग्निशमन के साधन नहीं, जनता को डरा रही सरकार
औरंगाबाद। तरार का हरिनगर हो या गोह का घेजना गाव। दोनों जगह आग लगने से 17 की मृत्यु हो चुक
औरंगाबाद। तरार का हरिनगर हो या गोह का घेजना गाव। दोनों जगह आग लगने से 17 की मृत्यु हो चुकी है। आग लगने के कारणों को दूर करने के बजाये सरकार ने नया रास्ता निकाला और फरमान जारी कर दिया कि दिन में 9 बजे के बाद खाना बनाने को चूल्हा नहीं जलाना होगा। जलाए तो दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसे जनता ने तुगलकी फरमान बताते हुए खारिज कर दिया है। रवींद्र कुमार शाह ने कहा कि नीतीश कुमार अपनी गलती तो देख नहीं रहे हैं, सारा दोष जनता पर डाल रहे हैं। विकास कुमार विक्की का कहना है कि घटना के बाद तुरंत अग्निशमन दस्ता पहुंचने की व्यवस्था होनी चाहिए। मुन्ना दुबे कहते हैं कि आग लगने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए, सिर्फ खाना बनाने से ही आग नहीं लगती। सबको पक्का आवास होना चाहिए। ज्वलनशील पदार्थो तक आग की पहुंच न हो और धुम्रपान पर रोक लगनी चाहिए। दीपक कुमार मिश्रा कहते हैं कि आग तो पेड़ एवं पत्थर के आपस में टकराने से, शार्ट सर्किट लगने से भी लग सकता है तो क्या पूरा पेड़ एवं पत्थर नष्ट करवा दीजिएगा बिजली की आपूर्ति खत्म कर देंगे? ये बेमतलब का तुगलकी फरमान है। वार्ड पार्षद बसंत कुमार कहते हैं कि सरकार को पहले आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाकर पंचायत स्तर पर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे अगलगी या बाढ़ के वक्त शीघ्रता से राहत शुरु किया जा सके। संतोष, अमन एवं धीरज कुमार ने इसे तुगलगी फरमान बताया। रवि पांडेय बोले - कहा कि कहा मचान। हसुआ के बियाह में खुरपा के गीत। रंजन कुमार का मानना है कि आग कहीं भी कभी भी लग सकती है। अवधेश कुमार कहते हैं कि फूस की जगह सरकार अग्निरोधक छत का प्रबंध कर दे। गाव में सरकार फ्री भोजनालय स्थापित करे, गांवों का चूल्हा कैसे जलता है यह न नीतीश को पता है न मोदी को। गरीबों के पेट की आग को बुझा दीजिए तो समस्या खत्म हो जाएगी। विजय कुमार कहते हैं कि ग्रास रुट पर अग्नि प्रबंधन के लिए सोचना होगा। फरमान का सामूहिक विरोध होना चाहिए। पप्पू कुमार कहते हैं कि सबको पहले पक्का मकान देने का प्रबंध करें। दयाभूषण आर्य कहते हैं कि सबको इंदिरा आवास बना दे सरकार। विपिन कुमार इसे गलत निर्णय बताते हुए कहते हैं - विनाश काले विपरीत बुद्धि।
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आग बुझाने का हो तौर तरीका मालूम : रौशन सिन्हा
फोटो फाइल - 30 एयूआर 04
दाउदनगर (औरंगाबाद) : वीसीएसआरएम के निदेशक रौशन सिन्हा कहते हैं कि अभी भी जिला के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहा पर अग्निशमन विभाग की गाड़ी पहुंचती ही नहीं है। ऐसे में यदि लोगों को आग बुझाने के तौर-तरीकों का पता होगा तो इससे होने वाले अधिक नुकसान से बचा जा सकता है। लोगों को चाहिए कि वे आग बुझाने के तौर-तरीकों के बारे में जानें। मुख्यमंत्री तुगलकी फरमान न देकर कोई ठोस कदम उठाए। कहा कि आग को चार भागों में बांटा गया है। प्रथम साधारण आग जो कूड़े में साधारण तौर पर रखी जाती है। दूसरा लिक्विड आग, तीसरा इलेक्ट्रिक आग तथा चौथा मैटल फायर होता है। विभिन्न तरह के आग को बुझाने के लिए भिन्न-भिन्न साधनों का प्रयोग किया जाता है। साधारण आग को बुझाने के लिए कूलिंग वाटर सीओटू का प्रयोग किया जाता है। तरल पदार्थो पर लगी आग को बुझाने के लिए मैकेनिकल फौम का प्रयोग किया जाता है। इलेक्ट्रिक आग को बुझाने के लिए सीओटू फायर एग्जीस्टिंग तथा धातु में लगी आग को बुझाने के लिए ड्राय कैमिकल का प्रयोग करना ही सही रहता है।