खंडहर में तब्दिल होता जा रहा प्रखंड कर्मियों का आवास
प्रखंड मुख्यालय में कार्यरत पदाधिकारियों एवं कर्मियों का आवास खंडहर में तब्दिल होता जा रहा है।
अरवल। प्रखंड मुख्यालय में कार्यरत पदाधिकारियों एवं कर्मियों का आवास खंडहर में तब्दिल होता जा रहा है। कर्मियों का आवास नहीं रहने के कारण यत्र-तत्र किराए के मकान में रहना पड़ता है। जिसके कारण उन्हें तो परेशानी हो रही है साथ ही काम के लिए आने वाले लोगों को भी इधर-उधर भटकना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को विभिन्न प्रमाण पत्रों पर अनुशंसा सहित महत्वाकांक्षी योजनाओं से संबंधित आवेदन देने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि बीडीओ का आवास समय समय पर मरम्मत होने के कारण ठीक है लेकिन अन्य कर्मियों के लिए बनाए गए आवासीय भवन भूत बंगले में तब्दील हो गया है। दरअसल 1990 के आसपास उग्रवादी गतिविधियों के तेज होने के बाद कर्मियों द्वारा सरकारी आवास को छोड़ दिया गया था। उसके बाद से संबंधित आवासों का रख रखाव का कार्य नहीं किया गया। इससे सभी आवास भूत बंगले में तब्दिल हो गया है। किसी का चाहरदिवारी गिरा हुआ है तो किसी का छत भी धराशायी हो गया है। जर्जर आवास को दुरुस्त करने के लिए कई बार कर्मियों द्वारा वरीय पदाधिकारियों से गुहार लगाई गई फिर भी अभी तक बात नहीं बनी। मालूम हो कि अरवल जिले का यह सबसे बड़ा प्रखंड है। 19 पंचायतों वाले इस प्रखंड में कार्यरत कर्मी आवास के अभाव में लंबी दूरी तय कर कार्यालय आते हैं। ग्रामीण इलाके के लोगों को भी 25 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। कर्मियों से भेंट नहीं होने के कारण उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ता है।