रेफर से होता है जले मरीजों का मरहम
अररिया। अररिया जिले में जले हुए मरीजों के इलाज की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। हां उन्हें
अररिया। अररिया जिले में जले हुए मरीजों के इलाज की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। हां उन्हें सदर अस्पताल पहुंचने पर रेफर जरूर कर दिया जाता है। हैसियत के अनुसार मरीज के परिजन उन्हें पूर्णिया या सिलीगुड़ी लेकर इलाज कराने जाते हैं। नहीं तो यहां ही तडप तडप कर दम तोड देते हैं। विभिन्न प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में जलकर मरीज जिला अस्पताल को देख पहुंचता है। पर उन्हें निराशा ही हाथ लगता है। जब ऐसे मरीज को चिकित्सक सीधे पूर्णिया रेफर कर देते, कोई तो धन के अभाव में तो कोई परिजन के अभाव में बाहर नही जाते, जिससे उसकी मौत हो जाता है। सूत्रों का माने तो सदर अस्पताल में अबतक चालू वर्ष में लगभग आधा दर्जन लोगों का मौत हो चुकी है और परिजन शव को बिना पोस्टमार्टम करवा लेकर चले जाते। अस्पताल प्रशासन सिर्फ थाना को सूचना भेजना खानापूर्ति कर लेता है। कई मामले में तो ओडी थाना तक पहुंचता ही नही, जिससे मृत लोगों को न्याय नही मिलता कई मामले ऐसे अस्पताल पहुंचे जिसे ससुराल वालों ने विवाहिता को दहेज के कारण जलाया था। हालांकि तेजाब, गैस, बिजली, आग से जले लोगों की संख्या. अधिक है। जिसे उपचार सदर अस्पताल में नही हो सीधे रेफर कर दिया जाता है।
क्या सुविधा हो जले मरीजों का
एक चिकित्सक ने नाम नही छापने के शर्त पर बताते हैं कि किसी भी मरीज को उपचार करने के लिए चिकित्सक भी पर्याप्त मात्रा में है पर इसमें कई चिकित्सक दबंग किस्म के हैं जो सिर्फ हाजरी एडभांस बनाकर चले जाते, ऐसे मरीजों को एसी वार्ड, वार्ड की सफाई, मलहम पट्टी समय पर हो। बेड सीट रोजाना बदलना, मच्छरदानी हो, कोई परिजन या आम लोग उक्त वार्ड में चप्पल-जूता पहनकर नही जाना चाहिए। इससे कम जले मरीज को भी भारी मात्रा में इंफेक्शन हो जाता और धीरे-धीरे उसका किडनी को प्रभावित कर देता है और उसकी मौत हो जाता है। पर एसी तो दूर उसे बेड सीट के साथ स्वच्छ वार्ड भी नही मिलता।
केस स्टडी
तीन दिन पूर्व पलासी चहटपुर से जलकर आये हिना, और मो. मुन्ना, पैक टोला फरोटा से बीबी गुलिया, जिसे चिकित्सक ने रेफर कर दिया। मुन्ना तो बेहतर इलाज के लिए चला गया पर हिना व गुलिया सदर अस्पताल में ¨जदगी और मौत से जूझ रहा है। उसे बेड पर न तो चादर दिया गया और न ही पंखा है ऐसे में भीषण गर्मी वह मौत व जिदंगी से जूझ रहा है।
क्या कहते डीएस
अस्पताल के डीएस डा. जय नारायण प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल में बर्न पेसेंट के उपचार के लिए कोई खास व्यवस्था नही है। इसका कोई एक्सपर्ट भी नहीं है यहां बर्न पेसेंट आने पर फोर्थ ग्रेड के स्टाफ से मलहम पट्टी का कार्य लिया जा रहा है। हमें अगर हेंड मिले तो हर सुविधा देने को तैर्या हूं ।