लहरिया बाइकर्स की भरमार, हादसों को न्यौता दे रहे नाबालिग सवार
अररिया। सीमांचल के लोगों के कई अजब गजब शौक हैं। समाज के नव धनाढ्य अपनी शानो शौकत दिखाने के लिए इन दि
अररिया। सीमांचल के लोगों के कई अजब गजब शौक हैं। समाज के नव धनाढ्य अपनी शानो शौकत दिखाने के लिए इन दिनों लखटकिया मोटर साइकिलें खूब खरीद रहे हैं और धन से बौराए उनके बेटे जब इन मोटरसाइकिलों पर सवार होते है तो यही प्रतीत होता है कि धन का नशा उन्हें बीच सड़क पर झूमने को विवश कर देता है। महंगी मोटरसाइकिलों पर दाएं बाएं लहर बनाते कम उम्र के युवा इन दिनों अररिया की सड़कों पर खूब धमाल मचाते हैं।
इनमें से अधिकांश बच्चे नाबालिग ही होते हैं। इन्हें लोगों ने लहरिया बाइकर्स का नाम दिया है। लेकिन उनके नव धनाढ्य मम्पी पापा को कौन समझाये कि बच्चों का गाड़ी चलाना जुर्म है। यहीं नही ऐसे बच्चे कभी भी अनियंत्रित होकर किसी बड़ी घटना को आमंत्रित कर सकते हैं।
सड़कों पर बाइक से अठखेलियां कर रहा बचपन
अररिया में आज भी अधिकांश सड़कें संकीर्ण है। संकीर्ण सड़कों पर सब कुछ साथ साथ चलती है। पैदल यात्री से लेकर ईंट व मिट्टी ढोते ट्रैक्टर, तीन पहिया वाहनों की लंबी कतार और उसके बीच लहरिया बाईक की सवारी करते बचपन। सुबह हो या शाम, किसी भी सड़कों पर इस तरह के नजारे आपको आसानी से मिल जायेंगे। ऐसी बात नही है इन नजारों को पुलिस वाले नही देख रही है। उनकी आंखों के सामने भी ऐसे नाबालिग सवार गुजरते हैं। लेकिन पुलिस ऐसे पचड़ों में पड़ना जरूरी भी नही समझती है। नतीजतन अररिया की सड़कों पर ट्रिपल लो¨डग की बात तो दूर मोटरसाइकिल पर चार आदमियों की सवारी भी करते आसानी से मिल जायेंगे।
हेलमेट व लाईसेंस का नही है प्रचलन
चार वर्ष पूर्व तत्कालीन एसपी शिवदीप लांडे ने बिना हेलमेट व लाईसेंस के गाड़ी चलाने वालों के विरूद्ध एक अभियान चलाया था। अभियान से ऐसी हड़कंप मची कि सुबह के पांच बजे से ही युवाओं की भीड़ परिवहन विभाग में जमना शुरू हो जाता था। जो रात के करीब आठ बजे तक चलता रहता था। पता चला कि सभी युवक ड्राईवरी लाईसेंस बनाने के इकट्ठा हो रहे है। यही नही शहर के हर एक चौक चौराहों पर हेलमेट बिकना शुरू हो गया था। पान दुकानदार से लेकर किताब बेचने वाले भी हेलमेट बेचने लगे थे। लेकिन यह कुछ दिनों तक ही चला। एस के स्थानान्तरण होते ही जहां लाईसेंस बनाने वालों की भीड़ एकाएक घट गयी, वहीं चौक चौराहों पर हेलमेट भी बिकना बंद हो गया। क्योंकि यहां के लोगों में आज भी हेलमेट पहनने का प्रचलन नही है। नतीजा है कि बिना हेलमेट के जितनी भी दुर्घटनाएं घटी, उसमें अधिकांश लोगों की जान चली गयी।
सघन आबादी वाले क्षेत्र में नही है पार्किंग की व्यवस्था
अररिया का मुख्य बाजार चांदनी चौक, हटिया रोड, अस्पताल रोड एवं बस स्टैंड रोड की है। यहां की बाजारों में आने वाले लोगों को गाड़ी खड़ा करने के लिए कोई पार्किंग नही है। पार्किंग के अभाव में अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। पार्किंग का अभाव और जाम की समस्या के कारण हटिया रोड से गुजरना आसान नही होता है। वहीं फारबिसगंज के मुख्य बाजार, छुआपट्टी रोड, स्टेशन रोड आदि जगहों पर तो जाम की समस्या हमेशा बनी रहती है। क्योंकि संकीर्ण सड़कों के दोनों किनारे दुकानों का अंबार और उसके बीच ग्राहकों की भीड़ जाम के साथ दुर्घटनाओं को आमंत्रित करती रहती है।
क्या कहते हैं यातायात पुलिस के जवान
बस स्टैंड में कार्यरत यातायात पुलिस छब्बु राय ने बताया कि अररिया में ट्रैफिक की कोई ठोस व्यवस्था नही है। यहां यातायात पुलिस को जाम हटाने से ही फूर्सत नही मिलती है तो ट्रिपल लोड और बिना हेलमेट के वाहन चलाने वालों की भी जांच कर सके। यहीं हाल चांदनी चौक की है। चांदनी चौक पर कार्यरत सी पासवान का कहना है कि यहां छोटे छोटे बच्चे भी अक्सर गाड़ी चलाते मिल जाती है। उनका कहना है अभिभावकों को भी सोचना चाहिए कि छोटे बच्चों को गाड़ी नही चलाने देना चाहिए।