हिमालय के ही पार ड्रैगन को रोके सरकार
अररिया। आतंक से भारत को रक्तरंजित करने वाले दहशतगर्दों को लाल चीन की सरपरस्ती से भारतीय जन मानस बुरी
अररिया। आतंक से भारत को रक्तरंजित करने वाले दहशतगर्दों को लाल चीन की सरपरस्ती से भारतीय जन मानस बुरी तरह आहत है। आवाम के क्रोध का लावा चाइनीज वस्तुओं पर फूटता प्रतीत हो रहा है। अररिया सहित संपूर्ण सीमांचल में चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है। वहीं, कतिपय व्यक्ति एवं संगठन अब चाइनीज सामानों के खिलाफ खुल कर सामने आ गए हैं।
हालांकि हिमालय पार से ¨हदुस्तान में अपनी जमीन तलाश रहे ड्रैगन पर बहिष्कार की जोरदार चपत पड़ रही है, लेकिन ड्रैगन को रोकना इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि वह तो अपनी पारी खेल चुका है। चीन में बना अरबों का माल भारतीय गोदामों में पड़ा है और छोटे बड़े व्यवसायी उसे बेचने की लगातार कोशिश में जुटे हैं। कई लोग यह मानते हैं कि बहिष्कार की आवाज लगा रहे अवाम के आगे चाइनीज माल बेचने वालों की सफलता संदिग्ध है, क्योंकि दृढ़ प्रतिज्ञ अवाम के आगे हर सत्ता विफल हो जाती है।
ड्रैगन के विरुद्ध आर्थिक जंग में अवाम की सहभागिता धीरे धीरे ही सही, अब जोर पकड़ने लगी है। ग्रामीण मेलों को इंडेक्स मानें तो इस बार चाइनीज खिलौनों एवं इलेक्ट्रानिक सामानों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गयी है। हर भारतीय उड़ी के आतंकी हमले से आहत एवं आक्रोशित है। पतंजलि समिति के प्रमंडलीय संयोजक प्रो. कमल नारायण यादव मानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्थिक हरकतों का खामियाजा भुगता है। सब जानते हैं कि तिजारत करने आए फिरंगियों ने देश पर ही कब्जा कर लिया। इसी तरह सस्ते सामानों की लालच में हम अगर ड्रैगन की कुंडली में फंसते हैं तो परिणाम बुरा ही होगा। इसीलिए चाइनीज वस्तुओं का संपूर्ण बहिष्कार होना चाहिए। वहीं,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य प्रो. महेंद्र प्रताप ¨सह का कहना है कि इक्कीसवीं सदी में कोई विदेशी ताकत सैन्य वर्चस्व की बात सोच भी नहीं सकती, लेकिन आर्थिक घुसपैठ सबसे सरल उपाय है और चीन इसी उपाय का सहारा ले रहा है। चीन को अपना आर्थिक वर्चस्व स्थापित करने से हर हाल में रोका जाना चाहिए। प्रो. एमपी ¨सह ने कहा कि अभी ड्रैगन को हिमालय के पार ही रोक देने का सुनहरा अवसर है, क्योंकि दिल्ली की गद्दी पर राष्ट्रवादी सरकार आसीन है और मजबूत इच्छा शक्ति वाला राजेनता ही उसका नेतृत्व भी कर रहा है।