कश्मीर से लौटे बिहारी मजदूरों ने किया खुलासा, जानकर हैरान रह जाएंगे आप
जम्मू कश्मीर से लौटकर बिहार वापस आए मजदूरों ने खुलासा किया है कि उन्हें पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों पर पत्थर फेंकने को कहा जाता था और इसके लिए उन्हें पांच सौ रुपये मिलते थे।
अररिया [उमाशंकर बबलू]। जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे अररिया व सुपौल जिले के सैकड़ों मजदूर काम छोड़ कर लौट आए हैं। वे उड़ी तथा आसपास के इलाके में राजमिस्त्री के तौर पर मजदूरी करने गए थे। आतंकी उन पर दवाब डालकर उनसे जबरन सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकवाते थे।
कश्मीर से लौटे नरपतगंज प्रखंड के साहेबगंज निवासी मोजीम, रहीम, मुस्ताक, जियाउल, इरशाद, नसर, मुस्लिम, मोजिउल, दिलशाद आदि ने बताया कि कश्मीर में हालात खराब होने के बाद हम सभी लौट आए हैं।
सुपौल जिले के रामबिसनपुर गांव के भी दर्जनों मजदूर वहां फंसे हुए हैं। इन दिनों बाहरी मजदूरों को काम मिलना तो दूर भोजन-पानी पर भी आफत है। वापसी के लिए उनसे मनमाना किराया मांगा जाता है जो मजदूर वर्ग के लोग देने में असमर्थ हैं।
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आतंकियों के दवाब की वजह से सबों ने अपना बकाया पैसा छोड़ दिया और अधिकतर लोग दिल्ली-यूपी में मजदूरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे रामबान जिले के खरी, नेटका तथा उड़ी आदि जगहों पर बन रही मस्जिदों में राजमिस्त्री का काम करते थे।
पूरा काम अली मुहमद नामक कश्मीरी की देखरेख में होता था। लेकिन वो उन्हें काम छोड़ सेना व पुलिस पर पत्थर फेंकने का दबाव बनाता था। इससे तंग आकर वे सभी भाग आए हैं। आज भी उनलोगों की मजदूरी का करीब 60 हजार रुपया बकाया है।
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मोजीम ने बताया कि उन्हें कुछ लोकल लोगों व अन्य प्रवासी मजदूरों के साथ पांच-पांच सौ रुपये देकर पुलिस व सीआरपीएफ के काफिलों पर पत्थर फेंकने के लिए मजबूर किया जाता था। चाहे उनका काफिला दिन में जितनी बार भी गुजरे।
हर शाम वहां कुछ लोग 200 से 300 ग्राम के पत्थर बोरों में भर कर ट्रकों की मदद से हर घर तक पहुंचाते थे। जिन्हें पत्थर फेंकने के पैसे दिए जाते थे उनपर भी नजर रखी जाती थी। उसने बताया कि कफ्र्यू की वजह से कश्मीर घाटी में कामकाज बंद है और वहां फंसे मजदूरों को पैसे का लोभ देकर पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकवाया जा रहा है।