बिकता है बाजार में पानी हुआ अमोल ..
अररिया। अप्रैल का महीना बीत चुका है। अररिया सहित पूरे सीमांचल में अब तक बारिश का पहला राउंड पूरा ह
अररिया। अप्रैल का महीना बीत चुका है। अररिया सहित पूरे सीमांचल में अब तक बारिश का पहला राउंड पूरा हो जाता था, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलट हैं। कोसी से कारातोया के बीच की हर नदी दम तोड़ ती दिख रही है। लगभग तीन सौ मीटर चौड़े पाट में बहने वाली कनकई दस मीटर में सिमट गयी है। वहीं कोसी फ्लड प्लान की तकरीबन सारी नदियां पूरी तरह सूख गयी है। पर्यावरण के जानकार मानते हैं कि पेड़ों की कटाई व प्रदूषण के जहर ने यहां की बायोडायवर्सिटी पर गहरा असर डाला है। स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में यहां स्वच्छ वायु एवं जल जैसे कुदरती संसाधनों की किल्लत हो सकती है। ऐसे में प्रख्यात कवि डा. संजय ¨सह की पंक्तियां बरबस ध्यान में आ जाती हैं कि बिकता है बाजार में पानी हुआ अमोल, हवा पूछे धूप से अपनी कीमत बोल..।
बात कुछ इसी दिशा में बढ़ती प्रतीत होती है। प्रशासन लोगों को अब तक पीने का साफ पानी भी मुहैया नहीं करवा पाया है। बाजार में बोतलबंद पानी धड़ल्ले से बिक रहा है। जिले की पूर्वी सीमा पर बहने वाली विशाल नदी कनकई अब सिमट कर एक पतले नाले जैसी बन गयी है। नदी की तलहटी गाद से पटी पड़ी है। यही हालत बकरा, नूना, रतवा व अन्य सहायक नदियों की है। लीन सीजन में नदी के जल स्तर कम होना एक बात है, लेकिन, अप्रैल महीने में ही जो हालात हैं वे निश्चय ही ¨चताजनक हैं।
इस वक्त सबसे अधिक ¨चता पूर्णिया फ्लड प्लान की नदियों को लेकर है। इस प्लान की सौरा, दुलारदेई, सीता, वगजान व पेमाधार जैसी नदियों का सोर्स पूरी तरह ड्राई हो गया है। सौरा व दुलारदेई को छोड़ कर अन्य नदियां तो पूरी तरह सूख गयी हैं। वहीं, रानीगंज व भरगामा-नरपतगंज आदि क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा धाराएं अब पूरी तरह सूख गयी हैं। लेकिन विडंबना है कि नदियों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। सत्ता व शासन पूरी तरह चुप बना हुआ है। बारिश के वक्त जल का भंडार बनाने तथा अंडरग्राउंड वाटर लेवल को बनाए रखने वाली धाराओं में खेती होने लगी है तथा कई स्थानों पर लोगों ने उसमें मकान भी बना लिया है। इन धाराओं पर कब्जा हो जाने से इंसानी ¨जदगी मंझधार में फंसती नजर आ रही है।