गरीबों के अनाज पर माफियों का राज
अररिया: इसी सप्ताह रानीगंज व अररिया में गोदाम प्रबंधन व अनाज के उठाव में लगे लोगों पर प्रशासन द्वारा
अररिया: इसी सप्ताह रानीगंज व अररिया में गोदाम प्रबंधन व अनाज के उठाव में लगे लोगों पर प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गयी प्राथमिकी यह पूरी तरह स्पष्ट कर देती है कि अररिया जैसे पिछड़े व कम जागरूक जिले में गरीबों के अनाज पर माफियों का राज चलता है। यह भी कि गरीबों व कमजोर लोगों के मुंह का निवाला छीन कर उसे बाहर बाजार में बेचा जा रहा है। ताजा घोटाले की प्रारंभिक जांच में एक बात पूरी तरह साफ हो गयी कि माफिया दल के सरकारी सदस्यों की रणनीति क्या थी। गोदाम प्रबंधन में लगे लोग किस तरह उपर ही उपर गरीबों के नाम आने वाला सारा माल साफ कर देते थे। यह भी कि सरकारी अधिकारियों ने इस घोटाले को भेदने के लिए पहले कोई प्रयास नहीं किए। और जब प्रयास हुआ था सब कुछ आइने की तरह साफ हो गया। अब यह देखना रुचिकर होगा कि घोटालेबाजों का अंजाम क्या होता है। उन्हें कानून की चौखट तक पहुंचाने के लिए किस कदर साक्ष्य इकट्ठा किए जाते हैं। लेकिन इस घोटाले ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। गोदाम की क्षमता पांच हजार ¨क्वटल जबकि वहां माल लाया जाता है 19 हजार ¨क्वटल। जाहिर है कि इतनी बड़ी मात्रा का भंडारण वहां संभव नहीं था। तो फिर वहां इतना माल क्यों लाया गया? जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि अनाज अगर लाया गया तो क्या उसकी अनलो¨डग हुई? लो¨डग-अन लो¨डग में कौन-कौन से श्रमिक लगे थे। फिर गोदाम से माल को डीलरों के बीच बांटने के लिए कब भेजा गया? इस घोटाले ने संबंधित अधिकारियों को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है।
वहीं, जानकारों की मानें तो अररिया जिले के गरीबों के बीच बांटने को आए अनाज का बड़ा हिस्सा पूरी तरह चोरबाजारी के जरिए बंगाल चला जाता है। जो बचा उसे आप खुले बाजार में भी बिकता देख सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे तो कौन। प्रशासन को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि जिले में किस मद में कितना अनाज आता है। क्या सरकारी स्तर पर उसके भंडारण की व्यवस्था है? अगर भंडारण की व्यवस्था है तो बीते साल पैक्स वालों द्वारा खरीदे गए धान का बड़ा हिस्सा पानी में कैसे सड़ गया। हालांकि प्रशासन की ताजा कार्रवाई ने उम्मीद जरूर जताई है और माफिया की रणनीति अति आत्मविश्वास का शिकार हो गयी है।