रास्ते ने लगाई डोलियों पर ब्रेक
अररिया। निजाम बदला पर नहीं बदल सकी गांवों की तस्वीर। जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां रास्ते के चलते
अररिया। निजाम बदला पर नहीं बदल सकी गांवों की तस्वीर। जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां रास्ते के चलते डोलियां नहीं उठ रही हैं। जी हां!ं हम बात कर रहे हैं रानीगंज प्रखंड के रानीगंज हांसा पंचायत महादलित राम टोले की। इस टोले की हकीकत ऐसी है कि जानने के बाद लोग अचंभित रह जायेंगे।
प्रखंड के हांसा पंचायत महादलित राम टोले में लड़के वाले बारात लेकर नहीं आना चाहते हैं, इसकी वजह है टोले में आने-जाने का रास्ता। आज के समय में जो भी बारात आता है वह डीजे की धुन पर ही लड़की की विदाई चाहता है ऐसे में टोले में पैदल प्रवेश करना भी बेहद कठिन है, तो डीजे गाड़ी कहां से पहुंचेगी। इन सभी का खामियाजा यहां की लड़कियां को भुगतना पड़ रहा है।
आजादी के पूर्व ही बसी थी बस्ती आजादी के पूर्व बसे महादलित बस्ती, रानीगंज प्रखंड के हांसा पंचायत के वार्ड नम्बर-5 के वासी एक अदद सड़क भी नसीब नहीं हैं। बीते दस वर्ष से महादलित परिवार सड़क के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहे है। वर्ष 2013 में तत्कालीन अंचलाधिकारी रमण कुमार ¨सह गावं पहुंचकर स्थल जांचकर गांव वासियेां को भरोसा दिलाया था। तबसे फाईल जिला मुख्यालय का धूल चाट रही है। दलित परिवारों का आरोप है कि नजराना के अभाव में यह फाईल आगे नहीं बढ़ रहा है। कई बार डीएम के जनता दरबार मे भी आवेदन दिया गया।क्या कहते हैं दलित परिवार
कलावती देवी, छोटू राम, डोमी राम कहते हैं कि 1947 ई से पूर्व से यह दलित की बस्ती है। 1954 के सर्वे के दौरान से ही उनके बाप दादा के नाम से करीब साढे पांच बीघा जमीन खतियानी बना था। इसी जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं। पूर्व में चारो तरफ खुला था। धीरे धीरे दूसरे जाति के लोग अपना अपना जमीन घेर लिया है। अब गांव आने के लिए कोई रास्ता नहीं है। सईकिल व मोटर साईकिल से भी लोग गांव नहीं पहुंच पाते है।
-घर में बैठी है जवान बटियां
दलित परिवारों के अनुसार रास्ता के अभाव में गावं में कोई कुटूम नहीं आता है। एक बार कोई भूलबस आ भी जाए तो दोबारा संबंध जोडने गांव नहीं आते । एक दर्जन से अधिक जवान जवान लडकियां वर्षें से विवाह के लिए घर में कुवारी बैठी है। वहीं पतासी देवी ने बताया कि पोती की शादी दूसरे गावं में ले जाकर कराना पड़ा। इस गांव में कुटूम आने को तैयार नहीं थे। एक बार किसी तरह बेटी की विवाह हो जाती है तो ससुराल वाले दोबारा इस गांव में बेटी को आने नहीं देते।
अधिकारी ने की थी स्थल जांच
ग्रामीणों ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन अंचालाधिकारी रमण कुमार ¨सह ने गांव पहुचकर स्थल जांच किए थे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द गांव आने के लिए रास्ता उपलब्ध कराया जाएगा। रास्ते का मापी कर नक्शा भी बना दिया गया था। आगे के कार्रवाई के लिए जिला मुख्यालय भू-अर्जन पदाधिकारी के कार्यालय भेजा गया। लेकिन भूअर्जन पदाधिकारी के कार्यालय के किरानी बाबू फाईल आगे बढ़ाने के लिए पैसे की मांग करते हैं।
घर में बैठीं हैं बच्चियां
मधु कुमारी, अनिता कुमारी, नेहा कुमारी, सोनी, ¨चकी कुमारी, ¨पकी आदि बच्चियां जो विवाह के लिए बैठी हैं। कई लोग रिश्ता छोड़ चुके हैं। रास्ते के अभाव में दो दर्जन से अधिक परिवार टोला छोड़कर दिल्ली, पंजाब आदि जगहों पर चले गांव हैं। ग्रामीणों का कहना है अगर सरकार उन लोगों पर भी ध्यान नहीं देगी तो एक एक कर वे लोग भी घर छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि इस संबंध में आवेदन मिला था। वे इसकी पूरी जानकारी लेकर रास्ते के लिए ठोस पहल किया जाएगा।