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धरान: जलजले की जलन पर मास्टर प्लान का मरहम

अशोक झा, अररिया : हिमालय की हरियाली एवं भव्यता के बीच रहना सबको अच्छा लगता है। लेकिन धरान की भव्य

By Edited By: Published: Wed, 29 Apr 2015 06:47 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2015 06:47 PM (IST)
धरान: जलजले की जलन पर मास्टर प्लान का मरहम

अशोक झा, अररिया :

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हिमालय की हरियाली एवं भव्यता के बीच रहना सबको अच्छा लगता है। लेकिन धरान की भव्यता से इन दिनों काठमांडू की पीड़ा आंसू बन कर झर रही है। देश के महाविनाश से शहर का हर शख्स परेशान है। उन्हें यह दर्द भी साल रहा है कि जिस मास्टर प्लान की बदौलत धरान को मौत के जबड़ों से निकाल कर जिंदा किया गया, उसे पूरे देश ने क्यों नहीं अपनाया।

सदियों पहले शिवालिक श्रृंखला की गोद में बसे ऐतिहासिक शहर धरान में कुदरत ने दोनों हाथ से खूबसूरती लुटाई है। नेपाल के बड़े हिस्से पर शासन करने वाले विजय राजा और महान विजेता लोहांग के गढ़ इसी शहर के पंचकन्या पहाड़ पर हैं। मां दंतकाली एवं पिंडेश्वर महादेव के मंदिर भी धरान में ही हैं। लेकिन मास्टर प्लान की बदौलत धरोहरों से संपन्न इस सुंदर शहर में इस बार भूकंप का असर नगण्य ही रहा।

पूरे नेपाल में भूकंप का कहर आंसुओं का सैलाब बन कर निकल रहा है, लेकिन धरान अगर परेशान है तो देश के दर्द से, अपनी व्यथा से नहीं। इस शहर ने 27 साल पहले आए महा विनाशकारी भूकंप से सबक ले कर बरबादी की ढेर पर सृजन की नई दास्तान लिख दी है।

क्या हुआ था 27 साल पहले

सन 1988 में नेपाल के पूर्वाचल सहित पूरे उत्तर बिहार में कातिल भूकंप ने कहर बरपाया था। 6.6 रिक्टर तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र धरान में ही जमीन की सतह से तीन किमी नीचे था। भूकंप के कारण पूरे नेपाल में 721 लोग मरे थे। अकेले धरान में ही 148 लोगों ने जान गंवाई थी।

बाबा पिंडेश्वर नाथ के प्रधान पुजारी परशुराम पौड्येल ने बताया कि भूकंप ने पूरे शहर को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया था। लेकिन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी। धरान महानगर पालिका ने एक दूरगामी योजना बनाई और तय हुआ कि शहर में जितने भी मकान बनेंगे, सब भूकंप-रोधी तकनीक पर आधारित होंगे। ताजा हालात ये हें कि शहर के नब्बे फीसद मकान भूकंप रोधी हैं।

इस शहर में नेशनल बिल्डिंग कोड 1988 में लागू किया गया। उसके बाद से जितने भी घर बने हैं सब भूकंप रोधी तकनीक से निर्मित हैं। धरान मनपा के एक कर्मी सुजीत श्रेष्ठा ने बताया कि यहां हर साल 800 नक्शा पारित किया जाता है। जिसमें भूकंप रोधी तकनीक का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने वाले को कड़ी सजा दी जाती है। इसके लिए कंस्ट्रक्शन इंटरप्रेन्योर एसोसिएशन की ओर से 800 लोगों को भूकंप रोधी भवन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है और सारे भवन इनकी ही देखरेख में बनते हैं।

काश, इस तकनीक को पूरे कोसी- सीमांचल में भी अपनाया जाता।


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