खुले आसमान के नीचे रह रहे झौवा के अग्निपीड़ित
ताराबाड़ी (अररिया), संसू: जख्म कुछ ऐसे हुए कि फूलों पे भी सोया न गया..। यह कथन है बटुरबाड़ी पंचायत के
ताराबाड़ी (अररिया), संसू: जख्म कुछ ऐसे हुए कि फूलों पे भी सोया न गया..। यह कथन है बटुरबाड़ी पंचायत के झौवा गांव अग्निपीड़ितों का। गुरुवार को झौवा गांव में अचानक लगी आग में अपना सब कुछ गंवा चुके लोग खुले आसमान के नीचे जी रहे हैं। कोई भी इन अग्निपीड़ितों की सुध लेने वाला नहीं है। सरकारी भंडार से प्लास्टिक भी मिल जाता तो एक बात होती। रात में अग्निपीड़ितों को ठंड व मच्छर तंग कर रहे हैं।
इस अग्निकांड में 64 घर जल गये थे। सभी गरीब परिवार हैं। इनमें से हाफिज तबरेज आंशिक रूप से झुलस भी गया था। वहीं गांव के ही कुछ रिश्तेदारों के यहां से भोजन पानी आ जाता है। रहने को घर नहीं सोने को बिस्तर नहीं है अग्निपीडि़तों को। इस अग्निकांड में सबसे ज्यादा क्षति दाउद उर्फ दौदी का हुआ।