तकनीक का साथ बन रहा गवर्नेस का दिव्यास्त्र
अररिया, जागरण संवाददाता : प्रशासन चलाने के लिए पुराने दिनों की फाइल प्रणाली कमजोर पड़ रही है। सदियों
अररिया, जागरण संवाददाता : प्रशासन चलाने के लिए पुराने दिनों की फाइल प्रणाली कमजोर पड़ रही है। सदियों पुराने बाबू सिस्टम को अब तकनीक के सहारे गुड गवर्नेस की खुराक दी जा रही है। कंप्यूटर, मोबाइल, वीडियो कांफ्रेंसिंग, इंटरनेट और फेसबुक जैसे माध्यम अब योजनाओं के क्रियान्वयन के त्वरित व दिव्य अस्त्र बन गये हैं।
अधिकतर विभाग ले रहे कंप्यूटर का सहारा
हालांकि आदर्श स्थिति आना अभी दूर की कौड़ी है। लेकिन प्रशासन के अधिकतर विभाग अब कंप्यूटर के माध्यम से संचिका संधारण कर रहे हैं। जिला मुख्यालय के नब्बे फीसद अधिकारी कंप्यूटर के माउस पर हाथ फेरते हैं और ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान करते हैं। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार की मानें तो प्रशासनिक सेवा में आने वाले युवाओं का वर्ग पूरी तरह कंप्यूटर लिटरेट है और इसकी महत्ता को अच्छी तरह समझता है। वे मानते हैं कि इक्कीसवीं सदी का प्रशासन बगैर कंप्यूटर के नहीं चल सकता है।
व्हाट्सएप बना संदेश का कारगर अस्त्र
मोबाइल हर घर में पहुंच गया है और प्रशासन के अधिकारी इस सुविधा का जम कर लाभ उठा रहे हैं। मोबाइल के मैसेज सेंडिंग सिस्टम से आदेश व निर्देश के त्वरित ट्रंासमीशन किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इससे प्रशासनिक जड़ता पर कारगर प्रहार हुआ है। वहीं, अब तो अररिया जैसे छोटे शहर में भी व्हाटसेप व वीडियो कालिंग के जरिए ग्लोबल विलेज की अवधारणा में मूर्त होने लगी है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग से रखी जा रही जिले पर नजर
जिला मुख्यालय स्थित एनआइसी द्वारा संचालित वीडियो कांफ्रेंसिंग प्रणाली अधिकारियों को पटना से सीधे जोड़ रही है और गवर्नेस में सहायक साबित हो रही है। एसडीओ श्री कुमार के अनुसार हर रोज विकसित होती तकनीक प्रशासन के अधिकारियों के लिए हमेशा रेडी रहने का संदेश देती है। इससे लालफीताशाही पर कारगर प्रहार हुआ है।
तकनीक के खतरे भी हैं कई
विकसित हो रही इलेक्ट्रानिक तकनीक के फायदे बहुत हैं तो कई हानि भी हैं। सिस्टम में वायरस का प्रवेश, दुश्मन देश द्वारा संचिका की हैकिंग, फाइल करप्ट हो जाने की वजह से लेने के देने पड़ सकते हैं। जानकारों का मानना है कि फाइल्स को अपलोड कर इस परेशानी से बचा जा सकता है। इस व्याधि का विकल्प खोजना ही होगा।