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प्रशासन लाचार, नहीं थम रहा महिलाओं पर अत्याचार

फारबिसगंज (अररिया), जासं: महिलाओं की स्थिति में उत्तरोत्तर सुधार के लिए देश व विदेश में कानून दर कान

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 07:21 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 07:21 PM (IST)
प्रशासन लाचार, नहीं थम रहा महिलाओं पर अत्याचार

फारबिसगंज (अररिया), जासं: महिलाओं की स्थिति में उत्तरोत्तर सुधार के लिए देश व विदेश में कानून दर कानून बनाए जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण व जागरूकता के लिए बड़े-बड़े सेमिनार आयोजित किये जा रहे हैं। भले ही कुछ महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में पुरूषों को बराबरी का टक्कर दे रही है लेकिन लेकिन आज भी स्थिति अबला तेरी यही कहानी आचल में दूध आखों में पानी वाली है। सीमाचल में मीना से रवीना तक शोषण उत्पीड़न और हिंसा का सफर जारी है। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस नये कवायद में जुटी हुई है।

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समरथ को नहीं दोष गुसाईं

समरथ को नहीं दोष गुसाईं इसी तर्ज पर जितने आधुनिक समर्थ, पैसे, शासन, सत्ता, बाहुबल में दखल के हिसाब सिद्ध लोग हैं उनके अपराध अपराध नहीं और जितने असमर्थ लोग हैं उनका निर्दोष होने के बावजूद जीना मुहाल है। इसी बीच मुकदमा नहीं उठाने को लेकर एक महिला का हाथ बाधकर नहर में फेंक दिया गया। बेहोशी की हालत में महिला को अस्पताल में भरती कराया गया। झमटा गाव में दुष्कर्म पीड़िता के साथ मारपीट की गयी। खैरा पंचायत की एक महिला के साथ कुकर्मी ने सारी हदें पर कर दी। मानिकपुर की एक महिला के साथ ही खावदह गाव की महिला के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया। उदाहरणों की लंबी फेहरिस्त है।

समाज में कोई सेफ्टी वाल्ब नहीं

भयत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ्य हजारों वर्ष पूर्व रची गई यह ऋचा औरत के सम्मान में तो लिखी गई लेकिन पुरूष प्रधान यह दुनिया हमेशा औरतों के खिलाफ ही रही है। नारियों को केवल नारी होने के कारण जिस उत्पीड़न व शोषण को झेलना पड़ता है वह पीड़ा पुरातन काल से आज तक अविराम है। वैसे भी, पुरूष सत्तात्मक समाज में स्त्री की सुरक्षा का यक्ष प्रश्न रहा है। गर्भ से लेकर जीवन के विभिन्न पड़ावों पर वह पुरूष के हिंसक हाथों से लहूलुहान होती रही है। दरअसल इसकी वजह हमारे सामाजिक संरचना में ही मौजूद है। गैरवाजिब वर्जनाओं के के कारण हमारे समाज में कोई सेफ्टी वाल्ब ही नहीं है। कुल मिलाकर, सीमाचल में महिलाओं पर आज की तारीख में भी अत्याचार जारी है।


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