फैक्ट्रियों के कचरे से बिगड़ रही परमान की जैव विविधता
अररिया, जागरण संवाददाता: सीमांचल को अपने पवित्र जल से समृद्ध बनाने वाली परमान समूह की नदियों में नेप
अररिया, जागरण संवाददाता: सीमांचल को अपने पवित्र जल से समृद्ध बनाने वाली परमान समूह की नदियों में नेपाली कल कारखानों का कचरा जहर बन कर गिर रहा है। इससे जहां नदी का पानी 'जहरीला' बनता जा रहा है, वहीं नदियों की जैव विविधता पर भी लगातार खतरे की तलवार लटक रही है।
परमान समूह की सारी नदियां नेपाल की शिवालक पहाड़ियों से निकल कर अररिया, पूर्णिया व कटिहार से बहते हुए बंगाल के तुलसीहट्टा थाने में महानंदा से मिल जाती है। इस दौरान वे सीमांचल के गावों का प्राण बन कर गुजरती हैं। लेकिन विगत एक दशक से इन नदियों में नेपाली कल कारखानों का कचरा लगातार गिराया जा रहा है, जिसके घातक परिणाम सामने आने लगे हैं।
क्या हो रहे परिणाम
-परमान व बकरा के जल की स्वच्छता में कमी
-बीच बीच में नदी के जल का रंग हो जाता है लाल
-मवेशी भी नहीं पीते नदी का जल
-मवेशियों को स्नान करवाना बनी समस्या
जल की जांच में निकले चिंताजनक नतीजे
कुछ साल पहले बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से तीन अलग अलग स्थानों पर परमान नदी के जल के सैंपल लिए गए। इनकी जब जांच की गयी तो इसमें आक्सीजन का अनुपात मानक स्तर से बेहद कम पाया गया। इसी तरह फासफोरस, नाइट्रोजन, सल्फर सहित नदी जल का पीएच वैल्यू भी मानक से मेल नहीं खाता था। जाहिर है कि ये तमाम बिंदु नदी की जैव विविधता बिगाड़ने को पर्याप्त थे।
जैव विविधता में क्या आयी गड़बड़ी
-परमान नदी में लगातार घट रही जल पक्षियों की संख्या
-लंबी थूथन वाले घड़ियाल हो गए विलुप्त
-एक दर्जन से अधिक मछलियां भी हो गयी विलुप्त
कैसे सुधरेंगे हालात
-कचरा डिस्पोजल को ले नेपाल के साथ हो बातचीत
-नदी में गिरने से पहले फैक्ट्रियों के कचरे का हो ट्रीटमेंट
-परमान जल प्रबंधन पर बने कार्ययोजना