नदी में मकान, शहर में उफान
फोटो- 19 एआरआर 6
कैप्शन-
-धारा से छेड़छाड़ के कारण नदियों का बिगड़ रहा मिजाज
-फारबिसगंज में सीता नदी पर पड़ी कलियुगी रावणों की नजर
- अररिया की मरिया धार के प्रवाह क्षेत्र में बन रहा घर
-सूख गयी कोसी समूह की एक दर्जन से अधिक नदिया
कुंदन, अररिया : नदी में मकान और शहर में उफान। अररिया की मरिया धार और फारबिसगंज की सीता धार इसका जीवंत उदाहरण है। यहां नदियों के प्रवाह क्षेत्र में अवरोध से शहर में डूब का खतरा है। पर्यावरण असंतुलन व धारा से छेड़छाड़ के कारण कोसी समूह की एक दर्जन से अधिक नदियां पहले ही सूख चुकी है।
सीमांचल इलाके में इन दिनों भू माफिया बेहद सक्रिय हैं। नदियों के प्रवाह पथ को सस्ते दाम में खरीद कर उन्हें वासभूमि के रूप में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इससे पानी का कुदरती फ्लो बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नदी का मार्ग परिवर्तन, तट पर बसे गांवों में कटान और बाढ़ जैसी विभीषिका सामने आ रही हैं।
कराह रही फारबिसगंज की सीता
फारबिसगंज का ऐतिहासिक शहर प्रसिद्ध सीता नदी के किनारे बसा था। अंग्रेजों के जमाने में सीता नदी के माध्यम से कोलकाता तक जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध थी। यह नदी शहर वासियों के लिए कुदरती ड्रेन का भी काम करती थी। प्रशासनिक उदासीनता का फायदा उठा कर भू माफिया ने इस नदी की जमीन को टुकड़ों में तब्दील कर दिया। अब नदी के अधिकांश पर घर बन गये हैं। सीता कुर्बान हो गयी, लेकिन इस कुर्बानी का नतीजा यह हुआ कि थोड़ी सी बारिश पूरे शहर में जल जमाव पैदा कर देती है।
बूढ़ी कोसी के प्रवाह क्षेत्र में हो रहा निर्माण
लगभग दो दशक पहले जैन धर्मशाला के आसपास बरसात के दिनों में बूढ़ी कोसी जवान नजर आती थी। यह शहर की गंदगी और कचरे का सबसे बड़ा वाहक थी। लेकिन फोरलेन बनने के बाद यहां की जमीन के भाव आसमान छूने लगे तो लोगों के जेहन में लालच भी बढ़ गया। इसके बाद बूढ़ी कोसी की एक तरह से हत्या कर दी गयी। आज इसके प्रवाह क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य हो रहा है।
लैंड यूज बदलने के कारण सूख रही नदियां
नदियों के प्रवाह पथ में छेड़छाड़ व लैंड यूज में बदलाव के कारण वर्षा जल का भंडारण नहीं हो रहा। इससे नदियां बड़े पैमाने पर सूख रही हैं। कोसी प्लान की एक दर्जन से अधिक नदियां सूख चुकी हैं। विष्णु पुराण में वर्णित सौरा व दुलारदेई के सूखने का खतरा प्रबल हो गया है।
सूख चुकी नदियां
कमला, कारी कोसी, कमताहा, कजरा, नीतिया, लछहा, बूढ़ी कोसी, प्रेमा, बरजान, सीता आदि नदियां सूख चुकी हैं।