गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के रियल हीरोज को सलाम
हमारे देश के रियल हीरोज खुद तकलीफें सहते हैं, ताकि देश की आम जनता आराम से रह सके। आइए देश के इन रियल हीरोज को हम भी गणतंत्र दिवस के मौके पर सलाम करें।
हम अगर देश में आजादी की सांस ले रहे हैं, अपने घरों में बिना किसी खौफ के सोते हैं, तो इसके पीछे उन फौजियों का बहुत बड़ा हाथ है, जो हर पल सरहद पर तैनात रहते हैं। देश के असली हीरो हमारे फौजी ही हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। सरहद पर तैनात फौजी अपनी जान की परवाह किए बगैर डटे रहते हैं, ताकि करोड़ों देशवासी आराम से रह सकें। गणतंत्र दिवस के मौके सभी भारतीय देश के इन असली हीरोज को सलाम कर रहे हैं।
टीवीएफ के मनोहर विरानी ने भी अपने ही अंदाज में देश के असली हीरोज यानि फौजियों को ट्रिब्यूेट दिया है। उन्होंने एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया है, जिसमें वह फौजियों के साथ एक दिन बिताते नजर आ रहे हैं। इसमें नजर आ रहा फौजियों का हौसला, जज्बा और देश के प्रति उनकी निष्ठा सच्ची। है। फौजी देश पर मर मिटने के लिए हर समय सीना ताने खड़े रहते हैं। दुश्मन की बुरी नजर का मुंह तोड़ जवाब देते हैं, ताकि देश की सुरक्षा में कोई सेंध ना लगा सके। फौजियों के इसी जज्बे को बड़े बेहतरीन ढंग से इस वीडियो में दिखाया गया है।
अगर एक फौजी और आम कामकाजी इंसान की तुलना की जाए, तो इसमें आपको जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलेगा। हम और आप, काम के दौरान मन करे तो कुछ देर के लिए ब्रेक ले लेते हैं। इस दौरान हम सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ अपना मन बहला लेते हैं या फिर ऑफिस के बाहर टहलने चले जाते हैं। लेकिन एक फौजी को ड्यूटी के दौरान ब्रेक मिलना नामुमकिन होता है। फौजियों को तो बिना पलक झपके सरहद पर नजर टिकाए रखनी पड़ती है। छोटी से छोटी हलचल पर भी पैनी नजर बनाए रखनी होती है, क्योंकि दुश्मन कभी भी और कहीं से भी हमला कर सकता है। आज हर दूसरा इंसान स्मार्टफोन से चिपका नजर आता है। लेकिन कोई फौजी बंदूक छोड़कर स्मार्टफोन पर अपने मैसेज नहीं देखता। वह तो अपने घर से आने वाली चिट्ठी का इंतजार करता। जब वो चिट्ठी उसे मिल जाती है, तो उसे पढ़कर ही संतोष कर लेता है।
देखें वीडियो -
कई फिल्मों में फौजियों की जिंदगी को बेहद अलग तरीके से दिखाया गया है। लेकिन असल में फौजियों की जिंदगी काफी मुश्किलों से भरी होती है। सरहद पर कोई वीकेंड नहीं होता है। अगर कोई फौजी पोस्ट पर बंदूक थामे खड़ा है और सामने से गोलियां चल रही हैं, तो लघुशंका के लिए भी घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। आम इंसान इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि बर्फ से ढकी पहाडि़यों पर तैनात फौजियों के लिए जिंदगी कितनी मुश्किल होती होगी। पेट्रोलिंग के दौरान कब पैर के नीचे लैंडमाइन आ जाए कहा नहीं जा सकता। फौजियों का हर कदम खतरे से भरा होता है। अगले पल फौजियों की जिंदगी में क्या होगा, इसका पता किसी को नहीं होता। लेकिन इसकी परवाह किए बगैर फौजी अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।
एक आम कामकाजी इंसान को ऑफिस से निकलकर घर भागने की हर रोज जल्दी होती है। लेकिन फौजियों को महीनों तक घर से दूर अपनी पोस्ट पर ही रहना पड़ता है। घर से काम करने का विकल्प भी फौजियों के पास नहीं होता है। सरहद पर घर के नाम पर सिर्फ टैंट होता है, जहां उन्हें कुछ घंटे आराम करने के लिए मिलते हैं। आज की युवा पीढ़ी को नींद के लिए घंटों सोशल मीडिया पर अपनी आंखों को थकाना पड़ता है। लेकिन वीडियो में बताया गया है कि फौजियों को सोने के लिए सरहद पर चार से पांच घंटे का समय ही मिलता है। इसमें चाहे सो लो या फिर दूसरे काम कर लो। हां, इस दौरान अगर दुश्मन हमला कर दे तो नींद छोड़कर फिर पोस्ट संभालनी पड़ती है। एक फौजी 24 घंटे सरहद पर ऑन ड्यूटी होता है।
कुछ ऐसी ही होती है, हमारे देश के रियल हीरोज की जिंदगी। ये खुद तकलीफें सहते हैं, ताकि देश की आम जनता आराम से रह सके। आइए देश के इन रियल हीरोज को हम भी गणतंत्र दिवस के मौके पर सलाम करें।