क़िस्मत पर रोना छोड़िए, आप लकी हैं मैडम!
आप ऑफिस में 8 घंटे की नौकरी करती हैं, आपको अपनी सैलरी कम लगती है या वर्क प्रेशर को देखकर आप अक्सर अपनी क़िस्मत को कोसती हैं।
आप ऑफिस में 8 घंटे की नौकरी करती हैं, आपको अपनी सैलरी कम लगती है या वर्क प्रेशर को देखकर आप अक्सर अपनी क़िस्मत को कोसती हैं। यही नहीं कभी-कभी तो आप मन ही मन दूसरी सफल महिलाओं से खुद की तुलना भी करने लग जाती हैं, लेकिन इन सब बातों से परे क्या आपने सोचा है कि आप कितनी लकी हैं।सोचिए, अगर आपने कहीं ऐसी जगह जन्म लिया होता, जहां लोग लड़कियों को स्कूल भेजना है या नहीं, नौकरी करनी है या नहीं, इन बातों को एक बहुत बड़े मुद्दे की तरह सोचते, तोक्या आज आपको अपनी प्रतिभा और हुनर को दिखाने का मौक़ा मिलता.
जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि जिसके पास जितना भी होता है, उसे कम ही लगता है, लेकिन आपको हमेशा खुद को लकी समझना चाहिए।
आज के युग में अगर एक लड़की का जन्म एक लोकतांत्रिक देश के किसी शहर के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ हो, जहां उसे अच्छी पढ़ाई-लिखाई की सुविधा उपलब्ध हो, जिसके बल पर वो एक नौकरी पाकर आर्थिक स्वतंत्रता हासिल कर सकती है।ये सारी चीजें वो चाहे तो निश्चित ही पा सकती है।
आज हम जहां भी देखें, भारत के हर महानगर में सभी माता-पिता अपनी बेटियों की पढ़ाई और नौकरी करने पर ज़ोर दे रहे हैं।बेटी चाहे जिसकी हो, प्रोफेसर, बैंक मैनेजर, ड्राइवर।सभी माता-पिता बेटियों को वहीं सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रहे हैं, जो अपने बेटों को देते आए हैं।
जैसे नेहा एक बड़े ऑफिस में काम करने वाली लड़की है।उसकी सगाई एक अमीर लड़के से हो गई।वो इस बात से बहुत खुश थी।ऑफिस में सभी को अपनी अंगूठी दिखाते हुए बोली ‘मेरी शादी होने वाली है, मेरे होने वाले पति शहर की एक नामी बिजनेस फैमिली के पोते हैं.’
नेहा की बात सुनकर एचआर मैनेजर थोड़ी खुश तो हुई लेकिन साथ ही उन्हें ये अंदेशा हो गया कि अब नेहा जॉब छोड़ने वाली है।
उन्होंने आखिर नेहा से ये बात पूछ ही ली।नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ‘इतने अमीर परिवार में जाने के बाद नौकरी करने की क्या जरूरत है मुझे, उनकी फैमिली नहीं चाहती कि मैं शादी के बाद नौकरी करूं.’
अब ज़रा आप ही सोचिए, नेहा की शादी एक अमीर परिवार में हो रही है, महज़ इसलिए वो बस एक दिन में अपनी मैनेजमेंट की डिग्री की पढ़ाई-लिखाई में लगी मेहनत अपने सेल्स टारगेट में लगाए श्रम के हजारों घंटे, अहमदाबाद की स्टार परफॉर्मर होने से मिली इज़्ज़त और पुरस्कार सबकुछ छोड़कर चले जाने को तैयार हो गई।
नेहा वो मौक़ा छोड़कर जा रही है, जिस मौक़े का इंतजार अधिकतर वो महिलाएं करती हैं, जिनकी परिस्थियां विपरीत हैं।इसलिए किसी भी सुनहरे अवसर को अपने हाथों से इतनी लापरवाही से मत उछालिए। उसे ऐसे ही मत गंवाइए।शादी, किसी कलीग से मनमुटाव, मुश्किल प्रोजेक्ट को संभालने आदि वजहों से।
दुनिया की ज्यादातर औरतों को पढ़ाई-लिखाई और कमाई करने का मौका नहीं मिलता, पर अक्सर हममें से ज्यादातर लड़कियां इसे अहमियत नहीं देतीं। आपको शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमारा जन्म ऐसे युग में हुआ है, जहां हमें पूरी आजादी मिली हुई है।अपनी क़ीमत समझिए।आप सच में बहुत ‘लकी हैं मैडम’।
ये छोटी-सी झलक है ‘अपूर्वा पुरोहित’ की क़िताब 'लेडी यू आर नॉट ए मैन- एडवेंचर्स ऑफ ए वुमन एट वर्क’की।जिसका हिंदी वर्जन है ‘नारी, मर्द बनना नहीं जरूरी!’
तीन भागों में बंटी ये क़िताब महिलाओं को अपने जीवन के हर क्षेत्र में, ‘स्वीकार करें, स्वयं ढलें और सफल बनें’ इस त्रिमुखी मन्त्र को अपनाकर सफलता पाने की राह दिखाती है।‘लेडी यू आर नॉट ए मैन' भारत के सभी जाने-माने बुक-स्टोर्स और वेबसाइट्स पर उपलब्ध है.अमेज़न पर घर बैठे इस लिंक पर क्लिक करके यह क़िताब मंगवाई जा सकती है।