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देश की अर्थव्‍यवस्था को पंख लगा सकता है ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्था में ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन का भी बहुत बड़ा योगदान है। कई अर्थशास्त्री इस बात को स्वीकार करते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 09 Mar 2017 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 09 Mar 2017 10:09 AM (IST)
देश की अर्थव्‍यवस्था को पंख लगा सकता है ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन
देश की अर्थव्‍यवस्था को पंख लगा सकता है ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान ‘मेक इन इंडिया’ को शुरू हुए दो साल हो गए हैं। पिछले दो सालों में इस अभियान का दायरा लगातार बढ़ता रहा है। सरकार ने सितंबर 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत की थी, ताकि रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण समेत 25 क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके। मोदी सरकार के इस अभियान को पिछले दो साल के दौरान बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।

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सरकार ने बीते दो साल में ऐसे कई कदम उठाए हैं जिसने कॉरपोरेट सेक्टर में सरकारी सिस्टम के प्रति भरोसा कायम किया है। फिर वह चाहे प्रस्तावों की मंजूरी में लगने वाले समय में कमी की बात हो या फिर पर्यावरणीय स्वीकृतियां प्राप्त करने में आने वाली अड़चनें। प्रत्येक क्षेत्र में सरकार उद्योगों के अनुकूल माहौल तैयार करने में जुटी है। इनमें से कई कदम तो उठा भी लिए गए हैं। यही वजह है कि उद्योग जगत को लगता है कि देश में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कारोबार करने का माहौल बन रहा है।

इसका नतीजा यह हुआ है कि पहली जनवरी 2015 के बाद से देश में मेक इन इंडिया के तहत 700 से ज्यादा प्रपोजल आ चुके हैं। बीते दो साल में कारोबार करना आसान बनाने की जो प्रक्रिया मोदी सरकार ने शुरू की है वह बदस्तूर जारी है। नियमों को सरल बनाने के साथ साथ अब सरकार उद्योगों के विभिन्न नियामकों और अधिकरणों के साथ होने वाले विवाद को निपटाने में लगने वाले समय में कमी की तैयारी कर रही है।

पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जानकारी दी कि बीते ढाई साल में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह 130 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। पिछले दो वित्त वर्षों में एफडीआई का प्रवाह इससे पिछले दो वित्त वर्षों से 66 प्रतिशत अधिक रहा है। पिछले साल एफडीआई का प्रवाह अब तक का सर्वाधिक रहा है।

चीन विश्व के बड़े निर्यातक देशों में से एक है। दिवाली की लाइट से लेकर घर की सजावट का सामान तक हम चीन से आयात करते हैं। लेकिन अब चीन भी बदलती परिस्थितियां देख भारत में ही उत्पादन और निर्माण करने में रुचि दिखा रहा है। चीन का भारत में इंवेस्टमेंट 2015 में छह गुणा बढ़कर 870 मिलियन डॉलर हो गया है। केंद्र सरकार की नीतियों और अनुकूल कर दरों की वजह से आने वाले समय में चीन और ज्यादा निवेश भारत में करने का इच्छुक है। इससे आप मोदी सराकर के ड्रीम प्रोजेक्टच ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता का अनुमान लगा सकते हैं।

हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने देश में विकसित पहला उन्नत हॉक एमके132 उतारा है। यह एक स्‍वदेशी विमान है। एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक टी सुवर्ण राजू ने कहा कि एचएएल में यह 100वां हॉक विमान का उत्पादन है, इस पर ‘मेक इन इंडिया’ का मार्क गौरव की बात है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर विमान को पेश किया गया।

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्था में ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन का भी बहुत बड़ा योगदान है। कई अर्थशास्त्री इस बात को स्वीकार करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में भारत अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी से बढ़ी। पिछले साल भारत की वृ्द्धि दर 7.3 रही, जिसमें इस साल 7.6 रहने का अनुमान है।

‘मेक इन इंडिया’ कैंपन के तहत कई देशों से समझौते हुए हैं, जिन पर काम आने वाले समय में शुरू होगा। कई कंपनियां जल्दी ही भारत में उत्पादन और निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बना रही है। इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को पंख लगा सकता है। हालांकि ‘मेक इन इंडिया’ कैंपन को अभी लंबा सफर तय करना है। अभी तो इस अभियान की शुरुआत ही हुई है।


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